डॉ. नीरज कनौजिया के कविता संग्रह ;दर्द की लकीरें’ की कविताओं में पीड़ा के संत्रास के साथ ही जीवन संघर्ष और उम्मीदें भी हैं

कौन यहां किसका अपना  ,है जग केवल कोरा सपना है , छलना तो केवल छलना है , साँसों के हर तार बंधे हैं , जीवन को बरबस जलना है »

‘विनोबा दर्शन : विनोबा के साथ उनतालीस दिन’ का लोकार्पण एवं संवाद कार्यक्रम सम्पन्न

इंदौर। अतीत के अध्ययन से वर्तमान में उसकी समीक्षा होती है और भविष्य के लिए उसकी कार्ययोजना बनती है। साठ के दशक में बीसवी»

फैशन की लहर में नौसेना की पोशाक बह गई ! पसंदीदा हो गई !!

एक युगांतकारी निर्णय में भारतीय नौसेना ने अपने भोजन मैस में अफसरों को टाई कोट आदि के ब्रिटिश पोशाक को तजकर पैजामा कुर्ता»

अमीन सयानी की स्मृति में… क्या थे वे दिन ? गीतमाला वाले !

उन दिनों अमूमन अखबारों के दफ्तर में देर शाम फोन की घंटी बजती थी (तब मोबाइल नहीं जन्मा था), तो अंदेशा होता था कि “कुछ तो»

पेड़ के प्राण लेना अक्षम्य है ! सुप्रीम कोर्ट दंड तय करे !!

वन की परिभाषा क्या है ? अब इस जानेमाने शब्द के आशय पर गत सप्ताह से भारत का सर्वोच्च न्यायालय माथापच्ची कर रहा है, सिर खप»

अंतरिम बजट 2024-25’जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय अनुसंधान’

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में अंतरिम बजट पेश किया। वित्तमंत्री ने इस बार छठा बजट सदन में पेश किया। मोरारजी देसाई»