आभासी कौतुक का सृजन: कौतुक ऐप

शिवेंद्र सिंहसाहित्य अपने श्रेष्ठतम स्वरुप में यथार्थ से उपजता है. परन्तु इस यथार्थ का परिष्करण कृतिकार की कल्पनाशीलता से ही संभव है. कल्पना की तीव्र मेधा यदि प्रकृति से एकाकार हो तो असंभव के संभव और अप्राप्य की प्राप्त सहज़ हो जाती है.

 इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हैं ब्रिटिश साहित्यकार एच.जी. वेल्स जो अपने उपन्यासों में उन्नत वैज्ञानिक कल्पनाओं के लिए जाने जाते है.वेल्स, जिन्हें ‘विज्ञान कथा के शेक्सपियर’ तथा ‘साइंस फिक्शन के पायनियर’ के रूप में संदर्भित किया जाता है ने अपनी लेखनी में अद्भुत वैज्ञानिक कल्पनाएं की जो बीतते वक्त के साथ यथार्थ में परिणीत होती गईं. यथा, अपने उपन्यास ‘द वर्ल्ड सेट फ्री'(1914) में उन्होंने रेडियोधार्मिता की शक्ति पर आधारित परमाणु बम की कल्पना की. ‘द वॉर ऑफ़ वर्ल्डस’ (1898) में जैविक संघर्ष और लेज़र हथियारों तथा ‘द शेप ऑफ़ थिंग्स टू’ (1933) में वैश्विक महाशक्तियों के मध्य विश्वयुद्ध एवं गैस हमलों की परिकल्पना की थी.
 इसी प्रकार मि.वेल्स ने अपने दूसरे उपन्यासों टाइम मशीन (1895), द आइलैंड ऑफ डॉक्टर मोरो (1896), द इनविजिबल मैन (1897), द वॉर ऑफ द वर्ल्ड्स (1898), और द वॉर इन द एयर (1907) में दूसरे वैज्ञानिक अविष्कारों जैसे लड़ाकू विमान, टैंक, अंतरिक्ष यात्रा, परमाणु हथियार, उपग्रह, टेलीविजन और वर्ल्ड वाइड वेब के आगमन की परिकल्पना प्रस्तुत की. आश्चर्यजनक रूप से आज इनमें से अधिकांश वैज्ञानिक कल्पनाएं वास्तविक स्वरुप में वर्तमान मानव सभ्यता का हिस्सा हैं.
 भारतीय साहित्य जगत की परंपरा में भी ऐसी लेखकीय योग्यता उपस्थित है. हिंदी में विज्ञान आधारित गल्प कथाओं एवं उपन्यासों के कृतिकार सूर्यनाथ सिंह द्वारा लिखित एवं चर्चित  उपन्यास ‘कौतुक ऐप’ इसी सर्जनात्मक परंपरा का पथिक बना है. सर्जनात्मक चेतना ब्रह्माण्ड में सदैव मौजूद होती है और समय के साथ अपने प्रकटीकरण का मार्ग तलाश लेती है. प्रतीत होता है इस पुस्तक का लेखन उसी ब्रह्माण्डीय मेधा से प्रेरित है क्योंकि रचनाशीलता वैसे भी नैसर्गिक गुण होता है. स्वयं सूर्यनाथ जी ‘कौतुक ऐप’ में लिखते हैं, ‘चेतना समाप्त नहीं होती, वह तरंग रूप में ब्रह्माण्ड में मौजूद रहती है उसी को आध्यात्मिक लोग आत्मा कहते हैं. हम उसे कॉस्मिक इंटेलिजेंस यानी ब्रह्मांडीय मेधा कह सकते हैं.’
 कौतुक ऐप के लेखक वरिष्ठ साहित्यकार सूर्यनाथ सिंह द्वारा लिखित-अनुदित कई ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं. पत्रकारिता में लगभग तीन दशकों का अनुभव रखने वाले सूर्यनाथ जी संप्रति बाल साहित्य के चर्चित एवं प्रशंसित लेखक के रूप में प्रतिष्ठित हैं. उन्हें प्रेमचंद पुरस्कार, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का यशपाल पुरस्कार, प्रसारण विभाग का भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार और हिंदी अकादमी दिल्ली द्वारा सम्मानित किया जा चुका है. सूर्यनाथ सिंह के इस प्रशंसित उपन्यास ‘कौतुक ऐप’ को राष्ट्रीय पुस्तक न्यास द्वारा 2021 में प्रकाशित तथा 2023 में पुर्नमुद्रित किया गया है. हिंदी अकादमी ने वर्ष 2023 के बाल साहित्य पुरस्कार से इस उपन्यास को सम्मानित किया है. 
 वर्तमान दौर में ज़ब गजेट्स एवं सोशल मिडिया के मकड़जाल ने बालपन के मृदुलता को लील लिया है और कोर्स से इतर पुस्तकों के पठन को बाल वर्ग के लिए दुष्कर बना दिया है. ऐसे में ‘कौतुक ऐप’ बाल साहित्य वर्ग के लिए एक उत्प्रेरक बिन्दु बन सकता है. आलोच्य उपन्यास के लेखक बाल एवं किशोर वर्ग को आकर्षित करने वाले राजा-रानी एवं जादू-टोने से प्रचलित कथानक से परे विज्ञान को अपना लेखकीय आधार बनाते हैं. एच.जी. वेल्स की भांति सूर्यनाथ जी भी आलोच्य उपन्यास कौतुक ऐप द्वारा आधुनिक तकनीक का आभासी संसार रचते हैं. वे मानव जीवन में नवीन एवं अधिक उन्नत तकनीकी के प्रवेश का संदेश देते हैं और भविष्य के वैज्ञानिक उपलब्धियों की आकांक्षा पैदा करते हैं. कौतुक ऐप उस रिक्ति को भर रही है जो संचार माध्यमों की अतिशयता ने बाल-किशोर वर्ग को लक्षित साहित्य के प्रति उक्त वर्ग की अरुचि से पैदा हुई है.
 सबसे उल्लेखनीय है उपन्यास का केन्द्र बिन्दु ‘कौतुक ऐप’ जो की एक एजुकेशनल ऐप है तथा जिसे भविष्य में इतिहास, पुलिस, विज्ञान, चिकित्सा विज्ञान क्षेत्र की उपलब्धि के रूप में प्रस्तुत किया गया है. इस ऐप द्वारा किसी भी ऐतिहासिक व्यक्तित्व को किसी जीवित व्यक्ति में प्रत्यारोपित किया जा सकता है. आलोच्य उपन्यास का पूरा परिसर मनोरंजक तरीके से इसी पर आधारित है. यह वैज्ञानिक जगत की भविष्य की उपलब्धियों की भविष्यवाणी सरिखा है. जैसा कि उक्त प्रशंसित उपन्यास के विषय में साहित्य अकादमी की उद्घोषणा कहती हैं, ‘यह उपन्यास अपनी मनोरंजक कथा तकनीक के माध्यम से पाठकों को विज्ञान के तकनीक से परिचित करवाता है.’
भविष्य में विज्ञान के उम्दा अविष्कार की कल्पना के साथ लेखक ने वर्तमान युगीन सामाजिक-राजनीतिक जीवन एक अच्छा ताना-बाना रचा है. यह समाज के यथार्थ के साथ ही सत्ता प्रतिष्ठान के यथार्थ को बहुत आसानी से चित्रित करती है. दादू के ऐप को अनुसन्धान परिषद के निदेशक, जो उनका जूनियर रह चुका है, द्वारा ईर्ष्यावश अस्वीकृत करवा देना एवं इससे मुख्य पात्र ह्रदय के मन उत्पन्न क्षॉभ सत्ता प्रतिष्ठानों में व्याप्त अकर्मण्य लाल फीताशाही की दुर्दशा का सटीक चित्रण हैं. वही मंत्री द्वारा ऐप के माध्यम से चुनाव जीतने के षड़यंत्र की चर्चा राजनीतिक भ्रष्टाचार की बानगी है.
लेखक विज्ञान फंतासी के बीच सहज़ हास्य पैदा कर रहें हैं. माउन्टबेटन एवं अकबर के मध्य संवाद एवं जयंत द्वारा ऐप के गलत इस्तेमाल के पश्चात् उभरी आपाधापी पर न्यूज चैनल के ऐंकर द्वारा प्रेत बाधा एवं तांत्रिक की बयानबाजी व्यंग एवं हास्य का सहज़ समन्वय है.
कुछ वार्तालाप बच्चों के लिए ऐतिहासिक-सामाजिक विमर्श पैदा करते हैं जैसे चाणक्य एवं एकलव्य के मध्य का संवाद. इसके अतिरिक्त महाराणा प्रताप, गाँधी, चेग्वेरा, हिटलर, सरोजिनी नायडू आदि ऐतिहासिक व्यक्तित्वों की चर्चा द्वारा लेखक लक्षित बाल वर्ग के पाठकों के अंदर सहज जिज्ञासा पैदा करते हैं. बुजुर्गो के मध्य का संवाद सूचना तकनीकी की अतिशयता से उपजे सामाजिक दुराव एवं वैज्ञानिक दुराग्रह से पीड़ित आधुनिक मानव समुदाय को प्रकृति की चेतावनी का आभास कराता है. वही साइबर हमले की आशंका, विद्युत एवं नेटवर्क की आकस्मिक विफलता से उपजी अव्यवस्था सूचना तकनीकी पर अत्याधिक निर्भरता के विरुद्ध भविष्य से पैदा हो सकने वाली दुश्वारियों का संकेत करती है.
रही बात भाषा की तो यह मिलावटी है जिसमें आम बोलचाल के हिंदी, उर्दू शब्दों का प्रयोग है. आंग्ल भाषा का प्रयोग यहाँ धड़ल्ले से किया गया है. जिसे वर्तमान सामाजिक परिवेश में बाल सुलभ बनाने का प्रयास माना जाना चाहिए. यह वर्तमान लेखकीय  आवश्यकता भी है और पठनीयता में प्रवाह पैदा करने के लिए लेखक की मज़बूरी भी. वैसे भी ‘हिइंग्लिस’ (हिंदी-अंग्रेजी का भद्दा मिश्रण) के भाषाई दौर में बड़े हो रहे बच्चों को लक्षित कर लिखित कृति में साहित्यिक तो छोड़िये सामान्य हिंदी का प्रयोग भी  कठिन निर्णय ही होता.
सूर्यनाथ जी कि किस्सागोई विष्णु शर्मा और उनके पंचतंत्र की याद दिला देती है. ज़ब एक राजा को पुत्रों को शिक्षित करने के लिए विष्णु शर्मा ने जिन कहानियों का आलम्बन लिया, वे ही पंचतंत्र के कथानक का आधार बनी. सूर्यनाथ जी अपने गल्प आधारित उपन्यास द्वारा बाल-किशोर वर्ग को विज्ञान की मनोरंजक सीख देते हुए प्राचीन भारतीय शिक्षण पद्धति की इसी परंपरा का प्रतिनिधित्व कर रहें हैं. जैसा कि नई कविता आंदोलन के दीप्तिमान् नक्षत्र कुंवर नारायण अपने काव्य संग्रह ‘कोई दूसरा नहीं’ में लिखते हैं,
‘पृथ्वी के आकर्षण के विरुद्ध
आकाश की ओर ले जानेवाले ज्ञान के
हम आदिम आचार्य हैं
न जाने कितनी बार उतरे हैं
हमारी पवित्र धरती पर
आमंत्रित देवताओं के विमान’
आप कौतुक ऐप में साहित्य के माध्यम से शिक्षण की ‘पंचतंत्र मार्का’ ज्ञान तथा वेल्स की परंपरा के वैज्ञानिक भविष्यवाणी को आसानी से तलाश सकते हैं. उक्त उपन्यास बाल वर्ग एवं किशोरों के अतिरिक्त साहित्यिक रूचि से अनुप्राणित सभी वर्गों के लिए भी अनुशंसित है. अपने सर्जनात्मक अवदान द्वारा बाल साहित्य को समृद्ध बनाने के लिए सूर्यनाथ जी साधुवाद के पात्र हैं.

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