दखल

परिस्थितियों का इलाज धैर्य से होता है-दत्तोपंत ठेंगड़ी

परिस्थितियां आती हैं, हर चीज का इलाज एकदम नहीं होता। परिस्थितियों का इलाज होता है। इसको समय लगता है और इतने समय तक धीरज»

आवेश और जोश के साथ सोच भी आवश्यक- दत्तोपंत ठेंगड़ी

उदयपुर में जो कुछ हुआ उससे आक्रोश स्वाभाविक है। लेकिन साथ ही सोचने की जरूरत है। 1990 में लुधियाना के राष्ट्रीय स्वयंसेवक»

हिन्दू मानसिकता को समझिए दत्तोपंत ठेंगड़ी की नजर से

हम कहते हैं कि गांधी जी सांस्कृतिक दृष्टि से श्रेष्ठ हिंदू थे। किंतु राजनैतिक दृष्टि से हिंदुओं के सबसे बड़े दुश्मन गांधी»

इमरजेंसी को याद करना उथल-पुथल की उस परिस्थिति में लौटने जैसा है

इमरजेंसी को याद करना उथल-पुथल की उस परिस्थिति में लौटने जैसा है। हर साल हम झांककर देखते हैं कि आखिर क्यों वैसा हुआ? लोकत»

संघ केवल स्वयंसेवक निर्माण करेगा – दत्तोपंत ठेंगड़ी

1931 में कांग्रेस का आंदोलन हुआ। आंदोलन में डा. जी स्वयं शामिल हुए। डा. जी के साथ संघ के प्रमुख कार्यकर्ता भी थे। लेकिन»