हम विदेशी व्यवस्था को क्यों नहीं बदल पाए

राकेश सिंह

अंग्रेजों का राज तो इस देश पर 200 साल तक रहा। उसके पहले और भी विदेशी शासक आए। लंबे समय तक राज किया। लेकिन वे भारत को नहीं बदल पाए। अंग्रेज भारत को पूरी तरह बदलने में सफल रहे। हमारे दिमाग को बदल दिया। हमारी संस्थाओं को बदल दिया। इसलिए यह समझना जरूरी है कि अंग्रेजों में क्या विशेषता थी। इतने सालों बाद भी हम उन्हीं की संस्थाओं को गले से लगाए घूम रहे हैं।

गांधी जी ने तो यहां तक कहा था कि अगर अंग्रेज यहां रहें और उनकी सभ्यता चली जाए तो समझूंगा कि स्वराज्य मिल गया। अगर अंग्रेज यहां से चले जाएं और उनकी सभ्यता यहां रह जाए तो मै समझूंगा कि स्वराज्य नहीं मिला। आज का जो दृष्य है उसे देखने से तो यह सोचने पर मजबूर होना पड़ता है कि शायद हमें स्वराज्य नहीं मिला।

अब सवाल उठता है कि उनकी व्यवस्थाओं को हम क्यों नहीं बदल पाए। कहीं हमारे अंदर ही तो कोई कमी नही रही। अगर कमी नहीं थी को यह कैसे हुआ कि स्वराज्य हमें नहीं मिला। अगर हमारे अंदर कमी नहीं थी तो यह कैसे संभव हुआ कि मुठ्ठी भर लोग सात समंदर पार से आकर इस देश को जीत सके। उस समय पूरे अफ्रीका का चक्कर लगाकर भारत पहुंचना पड़ता था। इसे हमें अंग्रेजों की दृष्टि से देखने की जरूरत है।

अंग्रेज इतिहास लेखन में बहुत सिद्धहस्त हैं। वे जानते हैं कि किसी भी समाज की मानसिकता को बदलने में इतिहास का बड़ा योगदान होता है। इस लिहाज से अंग्रेजों ने हमें तीन बातें बताई। पहली बात यह कि हमने भारत को जीतने की कोशिश ही नहीं की। हम तो व्यापार करने आए थे, भारत तो अपने आप हमारी झोली में आकर गिर गया। दूसरी बात यह बताई कि उस समय भारत में देशी विदेशी का कोई विवेक विद्यमान नहीं था। भारत ने हमें विदेशी नहीं माना। अपने सिस्टम का हिस्सा माना, इसलिए हमें खुद ही गद्दी पर बिठा दिया।

तीसरी बात हमें समझाई गई कि भारत को जीतने के लिए हमें न तो पैसा खर्च करना पड़ा और न ही खून बहाना पड़ा। ये तीन बातें अंग्रेजो ने इतिहास के जरिए हमारे मन पर बिठाने की कोशिश की। चौथी बात तथ्यात्मक है। हमारी धारणा है कि भारत में अंग्रेजी राज का प्रारंभ 1757 के प्लासी युद्ध से हुआ। वह युद्ध नहीं, केवल विश्वासघात था। कोई युद्ध नहीं हुआ। भारत में अंग्रेजी राज की स्थापना उसके काफी पहले शुरू हो गई थी। साल 1639 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने मद्रास में फोर्ट सैंट जार्ज का निर्माण कर लिया था।

साल 1661 में पुर्तगाल ने बंबई को ब्रिटेन को सौंप दिया, ब्रिटेन ने उसे ईस्ट इंडिया को ट्रांस्फर कर दिया। इससे साफ है मद्रास और बंबई पर ब्रिटेन सत्ता स्थापित हो चुकी थी। भारत में ब्रिटिश साम्राज्य को विस्तार में इन दोनो जगहों का बहुत महत्वपूर्ण मुकाम है।

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