चक्रव्यूह के सातवें द्वार को कैसे तोड़ा कल्याण सिंह ने ?
इतिहास पुरूष सदैव चुनौतियों और खतरो से घिरा रहता है। चुनौतियां, खतरे, संकट, घटनाएं, दुर्घटनाएं, उत्थान-पतन और मुश्किलें»
इतिहास पुरूष सदैव चुनौतियों और खतरो से घिरा रहता है। चुनौतियां, खतरे, संकट, घटनाएं, दुर्घटनाएं, उत्थान-पतन और मुश्किलें»
मैं आपसे कह रहा था इस संविधान में अच्छी बातें क्या हैं? संविधान का जो मौलिक अधिकार है वह आजादी के आंदोलन की मांग के अनुर»
आचार्य, अध्यापकगण, विद्यार्थियों, भाइयों और बहनों, इस विश्वविद्यालय में मैं पहली बार नहीं आया हूं, इससे पहले भी आ चुका ह»
अपनी सघन और गहरी अनुभूतियों को कल्याण सिंह बिना कीसी शास्त्र या अनुशासन का पालन किये शब्द देते हैं। कतार के आखिरी आदमी क»
भविष्य के प्रति आशा, सुन्दर सपनों की बुनियाद, आंखों में अटके वे आंसू, जिन्हें एकान्त नहीं मिला बह पाने को, घर परिवार की»
खैर उस समय हिंदुत्ववादी व्यक्ति संघ में थे और संघ के बाहर भी थे। और यह बड़े जोशीले थे। डा. जी के भाषण के बाद में हमारे पि»
मैं नहीं जानता, मैं कहां हूं। कांग्रेस से निकल गया हूं, सरकार में हूूं नहीं। सोशलिस्ट मुझे गांधीवाला कहकर दूर भागते हैं,»
इसका एक परिणाम यह हुआ कि यूरोप में उभरी अनेक विचारधाओं की छाया स्वाधीनता आंदोलन पर वैचारिक रूप में पड़ी। साम्यवाद, नानारू»
दीनबंधु एंड्रयूज न केवल एक भले अंग्रेज हैं तथा उन्होंने इस देश के लिए न केवल अपना सर्वस्व निछावर किया है बल्कि वे एक कला»
1931 में कांग्रेस का आंदोलन हुआ। आंदोलन में डा. जी स्वयं शामिल हुए। डा. जी के साथ संघ के प्रमुख कार्यकर्ता भी थे। लेकिन»
संविधान को जानें। मैं आपसे एक सवाल पूछूं, हम संविधान को क्यों जानें? सवाल कई तरह के होते हैं। कई बार सवाल इसलिए भी पूछे»
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बहादुर आदमी को कायर बनाता है? यह प्रश्न विचारणीय है। यह आप जो सोचते हैं वह भी सत्य हो सकता है। क»
मैं एक दूसरा पहलूू आपके सामने रखना चाहता हूं। बापू के जो रचनात्मक कार्य हैं, उनके बारे में फिर से बुनियादी विचार करने की»
मुनव्वर राना हो या फिर नसीरूद्दीन शाह या फिर आमिर खान, आखिर इनकी सोच कठमुल्लों से क्यों मिलती है। कई मौलानाओं से लेकर मु»
कोई भी मानव-संस्था ऐसी नहीं है जिसके अपने खतरे न हों। संस्था जितनी बड़ी होती है, उसके दुरूपयोग की संभावनाएं उतनी ही अधिक»
केन्दीय मंत्रिमंडल ने पाम आयल मिशन के कार्यान्वयन को मंजूरी दे दी। यह फैसला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में»
अंग्रेजी शासन के दौरान आदिम जाति को तुच्छ दृष्टि से देखा जाता था। बाहरी लोग जबरदस्ती उनके पारंपरिक इलाकों को हथियाने लगे»
अपनी अद्वितीय प्राकृतिक संपदा, विपुल मानव संसाधन, अकूत सामाजिक-सांस्कृतिक पूंजी तथा समृद्ध विरासत के बावजूद भारत की गिनत»
हमारे यहां हर महीने का कोई न कोई देवता है और कोई न कोई ग्रंथ। माघ महीने में महाभारत के शांति और अनुशासन पर्व को पढ़ने की»