आयात-निर्यात नीति
हम अन्यत्र यह उल्लेख कर चुके हैं कि किस तरह भारत सरकार की गलत आयात नीति के कारण कृषि के क्षेत्र में उत्पादन तथा उत्पादको»
हम अन्यत्र यह उल्लेख कर चुके हैं कि किस तरह भारत सरकार की गलत आयात नीति के कारण कृषि के क्षेत्र में उत्पादन तथा उत्पादको»
दीपावली अमर उत्सव है। यह सनातन है। दीपावली की रात्रि सुंदर है। कहीं धूल-धक्कड़ नहीं, कीच- कचरा नहीं, बाहर-भीतर, जमीन-आसमा»
यह तो कहीं-कहीं छपा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ‘कुछ लोग सवाल उठा रहे हैं कि पटेल जयंती आयोजित करने वाला म»
महात्मा गांधी से पहली भेंट से वापस आते हुए महादेव भाई देसाई अपने मित्र से बोले, ‘‘नरहरि, मुझे तो इस पुरुष के चरणों में ब»
किसान संघ जब किसानों के माल के उचित मूल्य की मांग करता है तब राष्ट्रवादी होने के नाते उपभोक्ताओं के प्रति अपनी जिम्मेदार»
लोकसभा में सदस्यों को अपनी बातों को स्पष्ट रूप से रखने में जो असुविधाएं होती हैं, उनका ध्यान रखकर अपने विचारों की व्याख्»
कभी-कभी सरकारी निर्माण के लिए या सार्वजनिक संस्था के लिए किसान की जमीन ली जाती है। इस तरह अधिग्रहण की गयी जमीन का बाजार»
भारतीय किसान संघ राष्ट्रवादी संगठन है। संपूर्ण राष्ट्र के हित का वह विचार करता है। वह जानता है कि किसान का हित और»
संयुक्त प्रांत के दौरे में प्रयाग के विद्यार्थियों की ओर से मुझे नीचे लिखा पत्र मिला थाःयद्यपि विद्यार्थियों की एक सभा म»
किसानों को सहायता देने के लिए निर्मित हुई कृषि उपज मंडियां उनके शोषण, उनके साथ धोखेबाजी तथा बेईमानी की मंडी बन रही है। र»
अफ़गानिस्तान में जो चल रहा है वह तो सभी के सामने है। आज का मीडिया वहां की राजनीति, कूटनीति और खौफनीति से लगातार»
देहरादून से एक विद्यार्थी का हिन्दी में लिखा पत्र मिला है। उसका सार इस प्रकार हैःहमारे कालेज के छात्रावास में अब»
एक संवादाता ने मेरे पास कराची के एक विवाह समारोह के समाचार भेजे हैं। कहा गया है कि वहां एक धनवान सेठ श्री लालचंदज»
आज बापूजी की बात कहने लगा हूं, तो उससे पहले थोड़ी अपनी कहानी भी सुना दूं। मैं बचपन से ही थोड़ा विद्रोही रहा हूं। घर में वि»
मैं एक सज्जन द्वारा लिखे गए गुजराती पत्र का नीचे अनुवाद दे रहा हूंः हिन्दुस्तान को दुनिया के लोकमत की नगण्य सहायता मिली»
मुझे खुशी है कि आप सब लोग चाहते हैं कि मैं प्रार्थना के अर्थ और उसकी आवश्यकता के बारे में कुछ कहूं। मैं मानता हूं कि प्र»
पिछली शताब्दी में किसानों की दुःस्थिति, असन्तोष तथा विद्रोह के प्रमुख कारण अकाल, शाहूकार, जमींदार, मूल्य-वृद्धि तथा अपर्»
एक पत्र-लेखक ने मुझे ‘प्रबुद्ध भारत’ का सितंबर का अंक भेजा है। इस अंक में संपादक ने मेरे उस उत्तर का प्रतिवाद प्रकाशित क»
ब्रिटिश हुकूमत के विरुद्ध तमार जनजातीय विद्रोह सन् 1789 से 1832 के बीच सात बार भड़का। अंग्रेजों की शह पर जमींदार, साहूकार»