‘कोरोना के बाद राज्य व्यवस्था की पुनर्रचना’ विषय पर मनीषी राम बहादुर राय का व्याख्यान
‘कोरोना के बाद राज्य व्यवस्था की पुनर्रचना’ विषय पर मनीषी राम बहादुर राय का व्याख्यान दिनाँक 04/02/2020»
‘कोरोना के बाद राज्य व्यवस्था की पुनर्रचना’ विषय पर मनीषी राम बहादुर राय का व्याख्यान दिनाँक 04/02/2020»
आबोहवा में उदासी घुली है। बेदर्द वक्त की ध्वनियों में असहायता के स्वर है। ह्दय में अकेलेपन के दर्द की उठती लहरियां है। स»
आफत के काल में सांसत के रेले है। फिर भी दम-ब-दम बेदम होने के बाद भी दम शरीर में बना हुआ है। कोरोना के पूर्व प्राण पखेरू»
मज़दूरों के व्यथा की गवाह बनी सड़कें। उनके दुख – दर्द से भरे दारुण कथा को बयाँ कर रही थी। हाड़ तोड़ खटने के बाद भी»
भारत में किसान आंदोलनों का इतिहास गौरवशाली रहा है। ऐसे आंदोलनों में अवध किसान आंदोलन सबसे अहम माना जाता है। सौ साल पहले»
सामाजिक राजनैतिक जीवन के हर व्यक्ति पर बहस होनी चाहिए, यह जरूरी है। क्युकी उससे देश प्रभावित होता है। कोई अपवाद नहीं हो»
यह महासंकट का समय है। ऐसे समय में मनोवृति कैसे बदल जाती है इसे यह घटना बताती है एक सौ चैदह साल पुरानी बात है। महात्मा गा»
कोरोना के बाद कला-संस्कृति की भूमिका पर मनीषी राम बहादुर राय जी का व्यख्यान|»
साल 1946 में सरदार बल्लभ भाई पटेल की अपील पर खेड़ा के दुग्ध उत्पादक 15 दिन की हड़ताल पर चले गए। यह आंदोलन निजी पोलसन कंप»
आज पंचायती राज दिवस है। एक बार ठहरकर सोचें। अपने संविधान को भी निहारे, और देखें की गांधी का ग्राम स्वराज उसमें कहां था।»
कोरोना महामारी बाजारपरस्त वैश्वीकरण का नया संस्करण है या उसका अंत? यह विमर्श का मुद्दा हो सकता है, लेकिन एक बात स»
भारत की अर्थव्यस्था कृषि अर्थव्यवस्था रही है। ग्राम स्वराज्य उसी खेती किसानी पर आधारित है। भारत में किसान का स्वभाव सहका»
जमींदारी प्रथा का अंत हो चुका है। इसके साथ ही किसानों को जमीन का हक मिला। किसानों को मिला अधिकार भी काफी कुछ पन्नो पर ही»
वसंधुरा – जैसा कि नाम से वर्णित है-वसु जिसमें वास है! यह पंच भौतिक तत्व-मिट्टी, जल, आकाश, वायु एवं अग्नि से मिलकर»
भारत कृषि प्रधान गांवों का देश है और गांव का इतिहास मानव सभ्यता के विकास का इतिहास रहा है। गांव परिवारों या व्यक्तियों क»
मध्य प्रदेश के सिंगरौली स्थित रिलायंस पावर प्लांट के ऐश डैम हादसे को मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गंभीरता से ल»
जाहिलों की जाहिलियत जारी है। जाहिलियत एक सोच है। अगर यह सोच किसी मजहब का आधार ही बन जाए तो समझो कि खतरा आपके सबसे करीब ह»
यह हमारे राजनीतिक-बौद्धिक जीवन का बैरोमीटर है कि जिस संस्था के काम से पिछले सौ साल से पूरी दुनिया प्रभावित हो रही है, और»
चीन से संक्रमित हुए कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में उथल पुथल मचा दी है। दुनियाभर में कामकाज ठप्प है, स्कूल कॉलेज बंद हैं»