जिन्ना की तिकड़म
संविधान सभा ने अपने लिए जो उद्देश्य निर्धारित किए, क्या उसे वह प्राप्त कर सकी? अत्यंत पीड़ादायक तथ्य है कि संविधान सभा को»
संविधान सभा ने अपने लिए जो उद्देश्य निर्धारित किए, क्या उसे वह प्राप्त कर सकी? अत्यंत पीड़ादायक तथ्य है कि संविधान सभा को»
मुझे हिन्दू होने पर गर्व है क्योंकि मेरा धर्म किसी पर थूक फेंक कर उसे कोरोना-संक्रमित करने की अनुमति नहीं देता चाहे वह व»
मिर्जा गालिब ने कहा था, ‘‘वो अपनी खू न छोड़ेंगे, हम अपनी वज’अ क्यों छोड़ें…’’। सचमुच, जब दुनिया अभूतपूर्व रोग से»
पहले मौसम की मार और अब कोरोना त्रासदी। हम कहीं के नहीं रहे। यह कहना है आम के बागवानों और कारोबारियों का। दोनों को गर्मी»
कोरोना के कहर से देश ठप है। कृषि एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। खेती किसानी तथा कृषि पर आधा»
विश्व विरादरी में चीन घिरता जा रहा है। उसके अपने कारनामें धीरे-धीरे बाहर आ रहे हैं। जिस कोरोना से पूरी दुनिया परेशान है»
राज आनंद की फेसबुक वाल से.. वामपंथी इतिहासकारों ने लिखा कि लालकिला मुगल शाहजहां ने १६३८ में बनवाया था…लेकिन ऑक्सफो»
हमरे बगिया में रंग-रंग के आम, महुआ, जामुन, कटहर, बडहड, इमली, कैथा, बईर, जंगल जलेबी, ढेरा, सिंहोर, बांस, चिलबिल अउर बेल आ»
जब नंदलाल बसु को हमारे संविधान की मूल प्रति के चित्रांकन का काम सौंपा गया था तो वह कोई सरकारी या अर्ध-सरकारी प्रस्ताव तो»
आनंद कुमार भारत की संविधान सभा द्वारा संविधान का ऐसा मसौदा तैयार किया गया, जो कि उत्तर औपनिवेशिक समय में भारत के अन-औपनि»
भारत में ब्रिटिश शासन आने से पहले, खेती भारती जीवन-शैली का परंपरागत अभिन्न अंग थी। पशुपालन भी खेती किसानी का हिस्सा था।»
अभी तक हमने अर्जुन के विषाद योग को देखा। जब अर्जुन जैसी ऋजुता(सरल भाव) और हरिशरणता होती है, तो फिर विषाद का भी योग बनता»
सबसे बड़ी समस्या यह है कि इन नए-नए वायरसों का जब तक कोई उपचार खोजा जाता है, वह बड़ी आबादी को अपनी चपेट में लेकर अपना रौद्र»
भारत में हरित क्रांन्ति की शुरुआत सन 1966-67 से हुई। इसकी शुरूआत का श्रेय नोबल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर नारमन बोरलॉग को»
वैसे 40 की उम्र ज्यादा नहीं होती। 40 की उम्र में ही अगर खुद के होने के सवाल के ज्यादतर उत्तर देने के करीब आप पहुंच जाते»
जनवरी 20, 1947 पं. जवाहरलाल नेहरू द्वारा विधान परिषद् में प्रस्तुत किए गए लक्ष्य संबंधी प्रस्ताव पर द्वितीय चरण की बहस क»
अर्जुन अहिंसा ही नहीं, सन्यास की भाषा भी बोलने लगा। वह कहता- इस रक्त लांक्षित क्षात्र-धर्म से सन्यास ही अच्छा है। परंतु»
कोराना वायरस दुनिया की नींद उड़ा चुका है। इसे जैविक हथियार के रूप में देखने वालों की कमी नहीं है। चीन के जिस वुहान शहर स»
कोरोना के कहर से हर कोई अपने घरों में हैं। वो लोग जो महानगरों की चमक दमक से प्रभावित होकर गांव छोड़ गए थे वे वापस आ रहे»