कांग्रेस के दो नारे ‘1935 का एक्ट नहीं चाहिए’ और ‘वयस्क मताधिकार पर संविधान सभा चाहिए’

कांग्रेस ने संविधान सभा के लिए अभियान चलाया। हर मंच से मांग की। 19 नवंबर 1939 को गांधी जी ने हरिजन में लिखा कि अगर वयस्क»

परिस्थितियों का इलाज धैर्य से होता है-दत्तोपंत ठेंगड़ी

परिस्थितियां आती हैं, हर चीज का इलाज एकदम नहीं होता। परिस्थितियों का इलाज होता है। इसको समय लगता है और इतने समय तक धीरज»

किसी भी संवैधानिक सुधार की कसौटी यह है कि वह समाज को नैतिकता के पथ पर बढ़ाने में सहायक होती है या नहीं

हिन्दू को एक पंथ तक सीमित करना और हिन्दुओं को बांटने की अंग्रेजों की चाल को हमारे महापुरूषों ने न समझा हो ऐसा नही है। अन»

अंग्रेजों ने हमारे लिए एक दर्पण तैयार किया। हम अपने को कैसे देखें

अंग्रेजों ने अंग्रेजी शिक्षित वर्ग की सोच बदलने के लिए आर्य जाति के सिद्धांत का खूब उपयोग किया। सर हेनरी मेन का एक भाषण»

आवेश और जोश के साथ सोच भी आवश्यक- दत्तोपंत ठेंगड़ी

उदयपुर में जो कुछ हुआ उससे आक्रोश स्वाभाविक है। लेकिन साथ ही सोचने की जरूरत है। 1990 में लुधियाना के राष्ट्रीय स्वयंसेवक»

हिन्दू मानसिकता को समझिए दत्तोपंत ठेंगड़ी की नजर से

हम कहते हैं कि गांधी जी सांस्कृतिक दृष्टि से श्रेष्ठ हिंदू थे। किंतु राजनैतिक दृष्टि से हिंदुओं के सबसे बड़े दुश्मन गांधी»