स्वतंत्र भारत के लिए गांधी का संविधान

राकेश सिंह

जब संविधान की बात करते हैं तो हमें यह समझना होगा कि संविधान बनाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका किसकी थी। संविधान सभा में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका वीएन राव की थी। वीएन राव का पूरा नाम था वेनेगल नरसिंह राव। राव एक आईसीएस अधिकारी थे। वह संविधान सभा के सलाहकार थे। उन्हें सलाहकार बनाया था वायसराय ने। वीएन राव 1935 के कानून का जिम्मा भी संभाल चुके थे। जाहिर है ये जिम्मा उन्हें अंग्रेज शासकों ने ही सौंपी होगी।

वीएन राव की काबिलियत बताई जाती है कि वह यूरोप के रंग में रंगे हुए भारतीय बुद्धिजीवी थे। उन्होंने यूरोप और अमेरिका की यात्रा कर भारतीय संविधान के लिए सामाग्री इकठ्ठा की। उनके सामने जो माडल था वह यूरो-अमेरिकन माडल था, भारत का माडल नहीं था। उन्होंने जो ड्राफ्ट बनाया उसी पर संविधान बना।

यह भी देखने में मिलता है कि संविधान सभा के अधिकांश सदस्य निष्क्रिय रहते थे। ड्राफ्टिंग कमेटी में भी आधे से कम सदस्य उपस्थित रहते थे। इसका पूरा वर्णन टीटी कृष्णामाचारी ने किया है। यही नही संविधान निर्माण प्रक्रिया से महात्मा गांधी को अलग रखा गया।

गांधी जी को संविधान प्रक्रिया से अलग रखा गया इसे कई तरह से समझा जा सकता है। संविधान सभा के निर्माण से 6 महीना पहले श्रीमन नारायण अग्रवाल ने एक पुस्तक प्रकाशित की। वह पुस्तक थी ‘गांधियन कांस्टीट्यूशन फार फ्री इंडिया’ मतलब स्वतंत्र भारत के लिए गांधी का संविधान। इस पुस्तक की भूमिका गांधी जी ने लिखी थी। उसमें वो कहते हैं कि श्रीमन नारायण ने मुझसे चर्चा की। लिखने के बाद मुझे दिखाया। मैने पूरे ध्यान से इसे पढ़ा है। मैने पाया मेंरे सुझाव इसमें हैं।

जब संविधान का पहला प्रारूप सामने आया तो उसमें कहीं पर भी गांधी जी के विचारों का उल्लेख नहीं है। यहां तक 13 दिसंबर 1946 को जब जवाहरलाल नेहरू ने संविधान सभा के उद्देश्यों का जो प्रस्ताव रखा, उसमें भी गांधी जी के विचारों का कोई उल्लेख नहीं है।

संविधान सभा का जब पहला ड्राफ्ट आया तो श्रीमन नारायण ने दिसंबर 1947 में गांधी जी का ध्यान इस तरफ खींचा कि इसमें पंचायती राज का जिक्र नहीं है। इसके कारण तहलका मच गया। आखिरकार नवंबर 1948 में पहली बार पंचायती राज को लेकर बहस हुई। उस बहस से पता चलता है कि इसे लेकर बहुत से लोग पहले से ही दुखी थे। डा. राजेन्द्र प्रसाद ने इसे पर अफसोस जताया और वीएन राव से पूछा कि ऐसा कैसे हो गया। वीएन राव का जवाब था कि प्रारूप को बदलना इस समय संभव नही है।

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