करतारपुर कॉरिडोर से क्या चाहता है पाकिस्तान
यह मात्र संयोग नहीं था कि भारत सरकार ने करतारपुर कॉरिडोर के शिलान्यास के लिए 26 नवंबर का दिन चुना। इस कॉरिडोर को»
यह मात्र संयोग नहीं था कि भारत सरकार ने करतारपुर कॉरिडोर के शिलान्यास के लिए 26 नवंबर का दिन चुना। इस कॉरिडोर को»
सर्वोच्च न्यायालय में अयोध्या मामले की सुनवाई लंबी खिंचती चली जा रही है। पहले न्यायालय ने यह आशा व्यक्त की थी कि»
बुनियादी तौर पर विकास दो आयामों में अभिव्यक्त होता है, एक तो भौतिक दूसरे चेतनागत। जब विकास की इन दोनों परिभाषाओं»
नगालैंड के गांधी नटवर ठक्कर नहीं रहे। गुवाहाटी के एक अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। वे उस पीढ़ी के थे जो भार»
हमारे देश को आजाद हुए 70 वर्ष से ज्यादा हो गए हैं | इन वर्षों में देश ने काफी कुछ तरक्की किया है | लेकिन इन वर्षों में द»
पिछले सात दशक से अपनी रक्षा चुनौतियों को हम कितनी अगंभीरता से ले रहे हैं, इसका सबूत सभी तरह की रक्षा सामग्री के ल»
खाप पंचायतों को लेकर कुछ सालों में एक गलत धारणा बन गई है। खाप पंचायतों को कबीलाई दृष्टि से देखा जाने लगा। लेकिन खाप पंचा»
सोनिया गांधी ने तहलका टेप की जांच क्यों बंद करवाई? उनका फर्स्ट ग्लौबल कंपनी से क्या रिस्ता है? क्योंकि बिना रिस्ते और रू»
मुहावरे की भाषा में ही इसे कहना चाहिए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत दिल्ली आए। साफ मन और दिल से आए। स»
चुनाव आयोग की पांच राज्यों में चुनाव की घोषणा के बाद सभी दलों ने अपनी रणनीति घोषित कर दी है। लेकिन इन चुनावों में»
अयोध्या धर्म और सियासत दोनो के केन्द्र में सदियों से रहा। कई सियासी दलों की सियासत को तो परवान पर ही अयोध्या ने चढ़ाया।»
अंग्रेजी के ‘फ्रीडम’ शब्द और भारतीय भाषाओं के ‘स्वतंत्रता’ और उसके समानार्थी शब्दों को पर्यायवाची के रूप में उपयो»
इस वर्ष छात्रसंघ चुनाव के परिणामों से स्पष्ट है कि जवाहर लल नेहरू विश्वविद्यालय अभी भी वामपंथियों का गढ़ बना हुआ है। अखिल»
आम चुनाव आते ही भारतीय राजनीति दलीय समर में बदल जाती है। अगले वर्ष आम चुनाव होने हैं और उसके लिए अभी से राजनैतिक»
सद्गुरु जग्गी वासुदेव का नदी अभियान विनोबा के भूदान आंदोलन सरीखा है। विनोबा ने तब के सबसे बड़े सवाल पर जनमत जगाया»
उस समय भी रिलायंस ने सरकार में कितनी गहरी सुरंग बिछा ली थी यह जानने के लिए विश्वनाथ प्रताप सिंह की पुस्तक ‘मंजिल से ज्या»
लगभग सौ वर्ष पूर्व 1917 में रूस में साम्यवादियों को सत्ता प्राप्त हुई थी। उससे पहले यूरोप में भी कार्ल मार्क्स और उनकी स»
अभी यूरोपीय जाति की शक्ति का आधार उसकी आर्थिक समृद्धि नहीं, उसकी प्रतिनिधि शक्ति अमेरिका की सामरिक अजेयता है। दूस»
अभी चंद वर्षों पहले तक जो हाथ नक्सलियों की कंगारू कोर्ट में सरेआम तड़प कर मरने से बचने या अपने परिवारों की महिला सदस्यों»