कलम ही जिनकी तलवार थी ! संपादकाचार्य श्री के. रामा राव.
प्रख्यात संपादक, जानेमाने स्वाधीनता-सेनानी और प्रथम संसद (राज्य सभा) के सदस्य (1952), श्री कोटमराजू रामा राव अपने दौर के»
प्रख्यात संपादक, जानेमाने स्वाधीनता-सेनानी और प्रथम संसद (राज्य सभा) के सदस्य (1952), श्री कोटमराजू रामा राव अपने दौर के»
पुरानी पुस्तकों और प्राचीन इमारतों को पसंद करने वाले हर व्यक्ति को यह खबर अच्छी लगेगी। संयुक्त राष्ट्र शिक्षा, वैज्ञानिक»
हरिशंकर परसाई लिखते हैं, ‘दिवस कमजोर का मनाया जाता है, जैसे महिला दिवस, अध्यापक दिवस, मजदूर दिवस. कभी थानेदार दिवस»
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को ‘जम्मू और कश्मीर के लिए विकास, लोकतंत्र और गरिमा’ प्रदान करने वा»
मुंबई मीडिया अत्यंत रोचक हो जाती है जब शिवसेना के शिंदे तथा ठाकरे धड़ों की जुगलबंदी को खबर बनाकर छापा जाता है। गाली-गुफ्त»
कृष्ण जन्मभूमि मंदिर (मथुरा) का जवाहरलाल नेहरू से अटल बिहारी वाजपेयी तक कोई भी दर्शन करने कभी भी नहीं गया। एक मात्र प्रध»
हर बुद्धिकर्मी को क्लेश और पीड़ा होगी दिल्ली के पुरातनतम पुस्तकालय (हरदयाल म्यूनिसिपल पब्लिक लाइब्रेरी) की दुर्दशा के»
बड़ा जटिल और विषम है सहमत होना प्रधान न्यायाधीश धनंजय चंद्रचूड़ की राय से कि वकील भी डॉक्टर की भांति किसी की मदद करने से»
अवंतिका सम्राट विक्रमादित्य से लेकर गोरखधाम पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ तक बीस सदियां और आठ दशक बीते। अब मोक्षपुरी अयोध्य»
तृणमूल कांग्रेस से लोकसभा की सांसद महुआ मोइत्रा मामले की जांच विधिवत शुरू हो गई है। लोकसभा की आचार समिति के समक्ष भाजपा»
मुंबई की टैक्सी, जो अब लुप्त हो जायेगी, के साथ भारत में विरोध की राजनीति का एक ऐतिहासिक अनुच्छेद भी खत्म हो जाएगा। इस»
कामसूत्र पर साधु समाज में चर्चा ! अथवा निजी पूंजी की श्रेष्ठता पर माओवादी सभा में गोष्ठी ! क्या अभिप्राय होता ? ठीक ऐसा»
राहुल गांधी तब (मार्च 1971) मात्र नौ माह के शिशु थे। उनकी दादी इंदिरा गांधी पांचवीं लोकसभा का आम चुनाव लड़ रही थीं। यह द»
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिखा है, ‘भारतीय संस्कृति के इन दो शब्दों-वसुधैव कुटुंबकम् में एक गहरा दार्शनिक विचार समाहि»
भारत में अफगन-तालिबानियों के हमदर्दों के लिए खास खबर। दो दिन बीते (29 जुलाई 2023) इस हैवानी जमात ने शहर हेरात के चौराहे»
अपने अज्ञातवास क़े समय एक बार लेनिन पेरिस (फ्रांस) की सड़कों पर टहल रहे थे. वे बहुत भूखे थे और उनके पास पैसे भी नहीं थे. ए»
यह फसाना (दास्तां) है दो विश्वास मत वाले प्रस्तावों की। दोनों घटनाओं में पंद्रह साल का फासला है। महीना वही जुलाई (22 जुल»
बेजान होती सोनिया-कांग्रेसी विपक्ष की सांसे लौट आयीं। श्रेय जाएगा असमिया लोकसभाई गौरव गोगोई को। इस 40-वर्षीय युवा कांग्»
भाजपायी अत्यंत प्रफुल्लित हो रहे होंगे। उनकी किस्मत से सोनिया-कांग्रेस के छीकें में सूराख पड़ गई। फूटना शेष है। बेंगलुर»