भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के लोक गयाक जिन्हें भुला दिया गया
महेंद्र मिश्रा ने भोजपुरी संगीत की पूर्वी शैली को लोकप्रिय बनाया और स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमि»
महेंद्र मिश्रा ने भोजपुरी संगीत की पूर्वी शैली को लोकप्रिय बनाया और स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमि»
तुम्हें याद है आज से डेढ़ साल पहले हमने तय किया था कि साल का एक दिन अमेरिकी मज़दूरों को समर्पित किया जाये, एक दिन जो हमारा»
मैं एक ऐसी धरती का सपना देखता हूँ जहाँ आदमी आदमी से घृणा नहीं करे जहाँ धरती प्रेम के आशीर्वाद से पगी हो और रास्ते शान्ति»
चिरतारुण्य के देवता महावीर हनुमान के धरा पर अमरत्व का वरदान पाने वाली दिव्य विभूतियों में होती है। रुद्रांश हनुमान न»
भारत की आध्यात्मिक धरती पर समय-समय पर अनेक अवतारी सत्ताओं, संतों और महापुरुषों ने जन्म लेकर देशकाल की तदयुगीन परिस्थितिय»
दुनिया चमत्कार को नमस्कार करती हैं. भगवान विष्णु के दस अवतारों में, श्रीराम का अवतार ही ऐसा अवतार हैं, जिसमे चमत्कार न क»
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम भारत के जन-जन के मन में बसे हुए हैं। उनका पतित पावन नाम जन्म से मृत्यु तक हर सनातनधर्मी»
“विश्व थ्येटर दिवस” पर आज (27 मार्च 2023) मेरा मस्तिष्क कुलांचें भर रहा है। कब वह मनोरम दौर, कम से कम वह शुभ पल, आएगा जब»
शचीन्द्रनाथ सन्याल ने अपनी आत्मकथा ‘बंदी जीवन’ के प्रथम संस्करण (वर्ष 1922) की भूमिका में लिखा है,’ »
बॉलीवुड की बड़ी जीजी हॉलीवुड में आस्कर पुरस्कार की सूची में मात्र बारह लाख लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा आयरिश (ब्रिट»
डा. वेद प्रताप वैदिक जी का जाना पत्रकारिता जगत की बड़ी क्षति है। वह प्रखर चिंतक, लेखक और सामाजिक सरोकारों वाले व्यक्ति थ»
ऑस्कर अवॉर्ड 2023 के परिणाम घोषित होने का इंतज़ार पूरे देश को था क्योंकि भारत को पहली बार अकादमी अवार्ड्स में एक साथ तीन»
अमेरिका में दूसरा ऐतिहासिक अवसर कल (रात्रि 8 बजे रविवार, 12 मार्च 2023) होगा जब विश्वभर के करोड़ों श्रोता (दर्शक भी) प्र»
प्रत्येक धर्म या पंथ के दो पहलू होते हैं, बाह्य एवं आतंरिक. आतंरिक पहलू ही अध्यात्म से जुड़ा होता है. इस्लाम के रहस्यवादी»
भारत की सनातन संस्कृति में पर्वों-त्योहारों की अविरल श्रृंखला इसकी अखंड जिजीविषा, अदम्य उत्साह व शाश्वत जीवन दर्शन और रा»
भाषा संस्कृति की नींव है. भाषा सदैव दो दिशीय जिम्मेदारी का निर्वहन करती है. एक तरफ ये समाज में संचार एवं अभिव्यक्ति का»
कब किसी की मेहरबानी चाहिए पर हमें भी साँस आनी चाहिए ज़ात, मज़हब, रंग, बोली जो भी हो, दिल मगर»
कौन लेगा अब ख़बर भी इस जहाँ में बेख़बर की; बात इक दिन की नहीं है बात है इक उम्र भर की. ये तमाशा और तेरी ये जवाँ महफ़िल ओ»
दियना घरे- घरे बारऽ, राह सगरी सवार ऽ 6 कि अंजोरिया बढ़े ना चान अंगने उतारऽ ,कि अजोरिया बढ़े ना चमकत रहे देश क माट»