मजदुर दिवस पर लैंग्‍सटन ह्यूज की कविता : मैं एक सपना देखता हूँ इस धरती का

मैं एक ऐसी धरती का सपना देखता हूँ
जहाँ आदमी आदमी से घृणा नहीं करे
जहाँ धरती प्रेम के आशीर्वाद से पगी हो
और रास्ते शान्ति की अल्पना से सुसज्जित
मैं एक ऐसी धरती का सपना देखता हूँ
जहाँ सभी को आज़ादी की मिठास मिले
जहाँ अन्तरात्मा को लालच मार नहीं सके
जहाँ धन का लोभ हमारे दिनों को नष्ट नहीं कर सके
मैं एक ऐसी धरती का सपना देखता हूँ
जहाँ काले या गोरे चाहे जिस भी नस्ल के तुम रहो
धरती की सम्पदा का तुम्हारा हिस्सा तुम्हें मिले
जहाँ हर आदमी आज़ाद हो
जहाँ सिर झुकाये खड़ी हो दुरावस्था
जहाँ मोतियों-सा अच्छल हो आनन्द
और सबकी ज़रूरतें पूरी हों
ऐसा ही सपना देखता हूँ मैं इस धरती का
लैंग्‍सटन ह्यूज

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