प्रयोगधर्मी धुन ने बढ़ाया देश का मान

ऑस्कर अवॉर्ड 2023 के परिणाम घोषित होने का इंतज़ार पूरे देश को था क्योंकि भारत को पहली बार अकादमी अवार्ड्स में एक साथ तीन नॉमिनेशन मिले थे | ‘नाटु नाटु’ को बेस्ट ऑरिजनल सॉन्ग, ”ऑल दैट ब्रीथ्स” बेस्ट डॉक्यूमेंट्री फीचर और ‘द एलिफेंट व्हिस्परर्स’ बेस्ट शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री में नोमिनेटेड थे | ‘द एलिफेंट व्हिस्परर्स’ के साथ ही भारतीय फिल्म ‘आरआरआर’ के गीत ‘नाटु नाटु’ ने अकादमी पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ मूल गीत की श्रेणी में ऑस्कर जीत इतिहास रच दिया है | इस गाने को इसके पहले गोल्डन ग्लोब अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। गौरतलब है कि इस साल के शुरुआत में ही चर्चित और बहुप्रशंसित फिल्म ‘आरआरआर’ के गीत ‘नाटु नाटु’ को 2023 के गोल्डन ग्लोब अवार्ड्स में सर्वश्रेष्ठ मूल गीत का पुरस्कार मिला था |

80वें गोल्डन ग्लोब अवार्ड्स में मिला यह सम्मान भारतीय सिनेमा के लिए ही नहीं पूरे देश के लिए प्रसन्नता का समाचार रहा | अब ऑस्कर अवॉर्ड का मिलना भी सुखद खबर है | इस गीत के संगीतकार कोडुरी मरकथमणि कीरावनी हिंदी, तमिल, कन्नड़ और मलयालम भाषा में मनोरंजन की दुनिया का चर्चित नाम हैं | कीरावनी सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशन के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से भी सम्मानित किए जा चुके हैं । इतना ही नहीं आठ फिल्मफेयर पुरस्कार, ग्यारह आंध्र प्रदेश नंदी पुरस्कार और एक तमिलनाडु राज्य फिल्म पुरस्कार भी खाते में हैं। ऐसे में ऑस्कर अवार्ड से उनके काम की पहुँच देश का मान दोनों ही बढ़े हैं |    

गौरतलब है कि पिछले साल आई फिल्म ‘आरआरआर’ को देशभर के दर्शकों का साथ मिला था। कोरोना काल के ठहराव और बहुत सी फिल्मों को दर्शकों द्वारा नकारने के परिवेश के बीच इस फिल्म ने करीब 1200 करोड़ रुपये का व्यवसाय किया | इतना ही नहीं फिल्म की कहानी को भी खूब सराहा गया | सिनेमा के परदे पर उतारी गई यह कथा भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी अल्लूरी सीता रामा राजू और कौमाराम भीम के बारे में है | देश की रक्षा और स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजों और हैदराबाद के निजाम से लड़ने के वाले दोनों चेहरों को तमिलनाडु और तेलंगाना को छोड़कर देश के अधिकतर लोग जानते तक नहीं थे | ऐसे में 400 करोड़ के बजट में बनी इस फिल्म का भारतीय संस्कृति और इतिहास से जुड़े विषय लोगों के मन तक पहुंचा | ध्यातव्य है कि निर्देशक एसएस राजामौली द्वारा ‘बाहुबली’ के बाद स्वतंत्रता सेनानियों की इस कहानी को भव्य तरीके से परदे पर उतारना एक मानीखेज काम रहा | जो ऊर्जा, रोमांच और बेहतरीन नृत्य मुद्राओं को लिए यह गीत कुछ अदा और अंदाज़ में कलाकारों को दर्शकों से मिलवाता है | ऐसे में दो वीर योद्धाओं से जुड़ी फिल्म की कहानी और ‘नाटु नाटु’ गीत की धुन दोनों को ही कई मायनों में प्रयोगधर्मी सिनेमा कहा जा सकता है |

दरअसल, अंतरराष्ट्रीय मंच पर किसी भी क्षेत्र से जुड़े लोगों के काम का सम्मान असल में देश का सम्मान होता है | संगीत और सिनेमा की कलात्मक दुनिया तो विश्वभर में देश की संस्कृति का चेहरा बनती है | यही वजह है कि ऑस्कर पुरस्कार का आना भी हर देशवासी के लिए खुशी और मान की अनुभूति लिए है | पीम मोदी ने भी ट्वीट में कहा है ‘असाधारण! ‘नाटु नाटु’ की लोकप्रियता वैश्विक है। यह एक ऐसा गाना होगा जिसे आने वाले सालों तक याद रखा जाएगा। इस प्रतिष्ठित सम्मान के लिए पूरी टीम को बधाई।’ 

विचारणीय है कि यह पुरस्कार मूल गीत की श्रेणी में मिला है | ‘ओरिजिनल सॉन्ग’ कैटेगरी का अर्थ है कि पहले से मौजूद दुनिया की भाषा के किसी गाने की धुन, या शाब्दिक अर्थ की नकल नहीं है | देश-विदेश में पुरस्कार-प्रशंसा पाने और हर आयु वर्ग के सिनेमा प्रेमियों के मन पर जादू चलाने वाले इस गीत की धुन और नृत्य कौशल दोनों ऊर्जा से भरे हैं | असल में तेलुगू भाषा के शब्द ‘नाटु नाटु’ का हिन्दी अर्थ नाचो-नाचो है | गीत को देखते हुए लगता है कि मिली सराहना और दर्शकों के प्रेम की एक बड़ी वजह इसके संगीत में सामुदायिक जन भावना से जुड़ी ऊर्जा का होना भी है | पीड़ा के दौर में भी जिजीविषा से जीने का बल देने वाली यह साझी भावना ही हमारे देश को उत्सवधर्मी बनाती है | हमारी सांस्कृतिक विरासत के रंग बचाए हुए है | ऐसे में बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड बनाने वाली फिल्म के हिस्से ऑस्कर जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार का आना वाकई सुखद है | यह संगीत और सिनेमा की दुनिया में नई रौनक लौटाने वाला समाचार है |

 

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