नगालैंड के गांधी
नगालैंड के गांधी नटवर ठक्कर नहीं रहे। गुवाहाटी के एक अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। वे उस पीढ़ी के थे जो भार»
नगालैंड के गांधी नटवर ठक्कर नहीं रहे। गुवाहाटी के एक अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। वे उस पीढ़ी के थे जो भार»
हमारे देश को आजाद हुए 70 वर्ष से ज्यादा हो गए हैं | इन वर्षों में देश ने काफी कुछ तरक्की किया है | लेकिन इन वर्षों में द»
दृश्य-एक। ‘युद्ध में अयोध्या’ व ‘अयोध्या का चश्मदीद’ के लेखक व चर्चित पत्रकार हेमंत शर्मा ने अपनी पुस्तक ‘तमाशा मेरे आगे»
पंचायती शासन किस तरह के भाईचारे पर टिका रहा है इसका उदाहरण महम चैबीसी से पाया जा सकता है। सामान्यतया जाटों के गोत्र पांच»
आज से पांच-छ: दशक पहले तक कोई इस बात की कल्पना भी नहीं कर सकता था कि गंगा नदी इतनी प्रदूषित हो जायेगी कि उसके जल»
पिछले सात दशक से अपनी रक्षा चुनौतियों को हम कितनी अगंभीरता से ले रहे हैं, इसका सबूत सभी तरह की रक्षा सामग्री के ल»
हमारी सभी तरह की नीतियों के केंद्र में अब किस तरह समाज की जगह राज्य होता जा रहा है, इसका सबसे बड़ा उदाहरण तो हमारी»
खाप पंचायतों को लेकर कुछ सालों में एक गलत धारणा बन गई है। खाप पंचायतों को कबीलाई दृष्टि से देखा जाने लगा। लेकिन खाप पंचा»
कल तक जो अमेरिकी संस्थाएं और अखबार चीन का गुणगान करने में लगे हुए थे और उसे विश्व अर्थव्यवस्था का इंजन बता रहे थे»
सोनिया गांधी ने तहलका टेप की जांच क्यों बंद करवाई? उनका फर्स्ट ग्लौबल कंपनी से क्या रिस्ता है? क्योंकि बिना रिस्ते और रू»
चुनावी राजनीति को पटरी पर लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘एक देश-एक चुनाव’ का विचार रखा। अगर ऐसा ह»
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे कुंवर नटवर सिंह दूसरों से भिन्न हैं। राजनीति की मुख्यधारा में सक्रिय नहीं रहते हुए भी वे अपन»
मुहावरे की भाषा में ही इसे कहना चाहिए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत दिल्ली आए। साफ मन और दिल से आए। स»
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस बात का श्रेय दिया जाना चाहिए कि उन्होंने अपने आपको दूसरे प्रधानमंत्रियों की तरह केवल राज»
यह सत्ता के भगवा रंग का प्रताप है। एक सन्यासी के सिंहासन पर बैठने का परिणाम है। सांस्कृतिक प्रतीकों के मानो पुनरुत्थान क»
मैंने अपनी निरक्षर और लगभग संपूर्ण जीवन वैधव्य में काटने वाली दादी को कभी अल्लाहाबाद कहते नहीं सुना था । वे ताउम्र प्रया»
चुनाव आयोग की पांच राज्यों में चुनाव की घोषणा के बाद सभी दलों ने अपनी रणनीति घोषित कर दी है। लेकिन इन चुनावों में»
अयोध्या धर्म और सियासत दोनो के केन्द्र में सदियों से रहा। कई सियासी दलों की सियासत को तो परवान पर ही अयोध्या ने चढ़ाया।»
गांधी जी की पत्रकारिता को समझाने वाली पुस्तक ‘गांधी की पत्रकारिता’ छप कर आ गई है। इसे प्रज्ञा संस्थान के लोकनीति केन्द्र»