औपनिवेशिक विरासत
1947 में अंग्रेजों ने भारत की आजादी को केवल ‘सत्ता का हस्तांतरण कहा। अफसोस है कि भारतीय नेतृत्व ने भी यही माना, समझा और»
1947 में अंग्रेजों ने भारत की आजादी को केवल ‘सत्ता का हस्तांतरण कहा। अफसोस है कि भारतीय नेतृत्व ने भी यही माना, समझा और»
जब 1947 में हमने ब्रिटिश शासन को विदा करके अपनी स्वतंत्रता फिर स्थापित की थी तो अपने मन में यह सोच लिया था कि औपनिवेशिक»
कल्याण सिंह एक मौलिक व्यक्तित्व के नेता थे।वे किसी की नकल नहीं करते थे। उनका अपना सब कुछ मौलिक था। चिंतन ,भाषण ,लेखन यह»
मद्रास में दो नवयुवकों पर मुकदमा चलाया गया है। एक तीस वर्षीय हिन्दू और दूसरा पच्चीस वर्षीय मुसलमान है। दोनों पर मद्रास क»
बात है 17 अक्टूबर 1996 की। यह वही दिन था जिस दिन उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा। विधान सभा को निलंबित रखा गया। राज»
संविधान को जानने और जांचने की एक कसौटी हमें सामने रखनी चाहिए। वह है-स्वराज। हमारे राष्ट्रीय आंदोलन का दूसरा लक्ष्य यही थ»
इतिहास पुरूष सदैव चुनौतियों और खतरो से घिरा रहता है। चुनौतियां, खतरे, संकट, घटनाएं, दुर्घटनाएं, उत्थान-पतन और मुश्किलें»
मैं आपसे कह रहा था इस संविधान में अच्छी बातें क्या हैं? संविधान का जो मौलिक अधिकार है वह आजादी के आंदोलन की मांग के अनुर»
आचार्य, अध्यापकगण, विद्यार्थियों, भाइयों और बहनों, इस विश्वविद्यालय में मैं पहली बार नहीं आया हूं, इससे पहले भी आ चुका ह»
अपनी सघन और गहरी अनुभूतियों को कल्याण सिंह बिना कीसी शास्त्र या अनुशासन का पालन किये शब्द देते हैं। कतार के आखिरी आदमी क»
भविष्य के प्रति आशा, सुन्दर सपनों की बुनियाद, आंखों में अटके वे आंसू, जिन्हें एकान्त नहीं मिला बह पाने को, घर परिवार की»
खैर उस समय हिंदुत्ववादी व्यक्ति संघ में थे और संघ के बाहर भी थे। और यह बड़े जोशीले थे। डा. जी के भाषण के बाद में हमारे पि»
मैं नहीं जानता, मैं कहां हूं। कांग्रेस से निकल गया हूं, सरकार में हूूं नहीं। सोशलिस्ट मुझे गांधीवाला कहकर दूर भागते हैं,»
इसका एक परिणाम यह हुआ कि यूरोप में उभरी अनेक विचारधाओं की छाया स्वाधीनता आंदोलन पर वैचारिक रूप में पड़ी। साम्यवाद, नानारू»
दीनबंधु एंड्रयूज न केवल एक भले अंग्रेज हैं तथा उन्होंने इस देश के लिए न केवल अपना सर्वस्व निछावर किया है बल्कि वे एक कला»
1931 में कांग्रेस का आंदोलन हुआ। आंदोलन में डा. जी स्वयं शामिल हुए। डा. जी के साथ संघ के प्रमुख कार्यकर्ता भी थे। लेकिन»
संविधान को जानें। मैं आपसे एक सवाल पूछूं, हम संविधान को क्यों जानें? सवाल कई तरह के होते हैं। कई बार सवाल इसलिए भी पूछे»
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बहादुर आदमी को कायर बनाता है? यह प्रश्न विचारणीय है। यह आप जो सोचते हैं वह भी सत्य हो सकता है। क»
मैं एक दूसरा पहलूू आपके सामने रखना चाहता हूं। बापू के जो रचनात्मक कार्य हैं, उनके बारे में फिर से बुनियादी विचार करने की»