सांस्कृतिक चेतना के सोपान
मनीषी हजारी प्रसाद द्विवेदी आज अगर होते, तो वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात को 21वीं सदी की सांस्कृतिक क्रांत»
मनीषी हजारी प्रसाद द्विवेदी आज अगर होते, तो वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात को 21वीं सदी की सांस्कृतिक क्रांत»
भारी कौन है ? भाजपा अथवा उसका सांसद बृजभूषण शरण सिंह ? फिलहाल पार्टी उन्नीस पड़ती नजर आ रही है। एक बार भाजपा ने उन्हें नि»
टाइबर नदी पर दो हजार साल पहले रोमन सम्राट नीरो द्वारा बनवाये गए पुल, जिसके अवशेष पानी में डूबे रहते है, इस बार नदी के सू»
प्रकाश सिंह बादल को इतिहास सदैव याद रखेगा। खासकर आपातकाल (1975-77) के तीव्रतम विरोधी के रोल में। उनका शिरोमणि अकाली दल त»
भारत के बौद्धिक-राजनीतिक जगत में जिस तरह विमर्श का स्तर गिरा है, उसने गंभीर चिंतन एवं वैचारिकी की शून्यता पैदा कर दी है.»
पाकिस्तान हमेशा से ही अपने इस मशहूर पत्रकार की मौत चाहता रहा। कल ( 24 अप्रैल 2023 ) तारेक फतेह चले गए। कैंसर से रुग्ण थे»
वर्तमान समय में देश वैचारिक संघर्ष के संकट से गुजर रहा है. ये संघर्ष वास्तविक पंथनिरपेक्षता और तुष्टिकरण के मध्य, कट्टर»
सर्वोच्च अदालत को निर्मित और प्रचिलित कानूनों को सुधारने का अधिकार भले ही हो, पर विकृत करने का हक कतई नहीं है। क्या लि»
पत्रकारिता के साथ इस यायावर जीवन में सबसे विश्वसनीय मित्र किताबें ही साबित हुई हैं. ऐसे ही दोस्तों की तलाश में दिल्ली के»
आदर्श गृहणी अमूमन तीन से बौखलाती है, इनसे उसे झल्लाहट होती है : अव्यवस्थित घर, आलसी पति और उत्पाती चूहा। चूंकि उत्तर प्»
इस्लामी तुर्की फिर से और उदार सेक्युलर गणराज्य हो सकता है। एक पखवाड़े बाद (14 मई 2023) राष्ट्रपति निर्वाचन होगा। इस पद क»
स्कर्ट अथवा सलवार-कुर्ता ही महिला खिलाड़ी के लिए दस्तूरी लिबास रहे हैं। अब नहीं। इस नियम, बल्कि यकीन को तोड़कर कल (19»
डॉ. आंबेडकर का कहना था कि, “संवैधानिक नैतिकता एक स्वाभाविक भावना नहीं है. इसका क्रमिक विकास किया जाता है.” क»
बल्कि यह किस्सा है एक माता और दो वालिदाओं का। इनमें सर्वप्रथम परखें बेगम खुशनुदा को। उन्हें हार्दिक सलाम ! अपने बेटे गुल»
चुनावी व्यय एक ऐसा मुद्दा है जिसमें निर्वाचन आयोग, राजनीतिक दल एवं भारत सरकार तीनों के ही अपने अपने दृष्टिकोण हैं. सैद्ध»
रूसी पत्रकार व्लादिमीर कारा-मुर्जा को मास्को की अदालत ने कल (17 अप्रैल 2023) पच्चीस साल की कठोर सजा दे दी। गुनाह बस इतना»
कोको अब स्वस्थ हो रहा है। उसकी शराब की लत कमजोर हो रही है। चस्का छूट रहा है। यह दो-वर्षीय लेब्राडोर नस्ल का शिकारी कुत्»
भारत में पंचायतों की परंपरा अत्यंत प्राचीन रही है.भारतीय इतिहास के हर दौर में पंचायतों का अस्तित्व रहा है. प्राण जी के श»
कोहिनूर हीरा फिर सुर्खियों में है। खासकर गत सप्ताह से। यूं यह सदियों से विवाद में रहा। द्वारकाधीश कृष्ण के स्यामंतकमणि»