समरस हिन्दू

आज के हिन्दू समाज में अनेक विषमताएं हैं. जाती – पाती, उच्च – नीच, वर्ण आदि अनेक ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर अनेकों बार समाज ब»

नायकत्व पर आधारित सामाजिक ध्रुवीकरण का कुत्सित प्रयास

इतिहास अपने वास्तविक स्वरूप में गतिशील होता है. उसके गर्भ में कुछ ऐसे बीज तत्व होते हैं जो वर्तमान एवं भविष्य की गतिशीलत»

संवैधानिक अधिकारों एवं कर्तव्यों के असंतुलन से उपजा संघर्ष

देश संकट में है. ये संकट धार्मिक टकराव का है जो तत्क्षण पैदा नहीं हुआ. यह एक लंबी विवादास्पद ऐतिहासिकता की उपज हैं. इस स»

वामपंथ: हिंसा, ध्वँस और अवसरवाद के साये में वर्ग चेतना की तलाश

   सामान्यतः वामपंथ कोई एक विचारधारा नहीं बल्कि साम्यवाद, समाजवाद, मार्क्सवाद इत्यादि विचाधाराओं का सामूहिक नाम है. वामप»