समरस हिन्दू
आज के हिन्दू समाज में अनेक विषमताएं हैं. जाती – पाती, उच्च – नीच, वर्ण आदि अनेक ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर अनेकों बार समाज ब»
आज के हिन्दू समाज में अनेक विषमताएं हैं. जाती – पाती, उच्च – नीच, वर्ण आदि अनेक ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर अनेकों बार समाज ब»
मानव इतिहास के तथ्यगत विवरण के अनुसार सभ्यता का उद्गम नदियों के किनारे हुआ है, परंतु यह भी सत्य है कि अपने उन्नयन के साथ»
इतिहास अपने वास्तविक स्वरूप में गतिशील होता है. उसके गर्भ में कुछ ऐसे बीज तत्व होते हैं जो वर्तमान एवं भविष्य की गतिशीलत»
भाजपा के विजय अभियान का पुनः विस्तार हुआ है. उत्तर-पूर्व के राज्यों में होने वाले चुनाव में त्रिपुरा और नागालैंड में भाज»
संविधान सभा में अपने भाषण में बाबा साहब आंबेडकर ने कहा था, “उन महान व्यक्तियों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने में क»
भारत के दूरांचल में समुद्र तटीय क्षेत्र विकास की दृष्टि से पीछे रहें हैं। उन तटीय क्षेत्रों पर भी हमने ध्यान नहीं दिया,»
जनवादी परंपरा के लेखक मुक्तिबोध अपनी ‘साहित्यिक डायरी’ में लिखते हैं, “दिल्ली से प्रांतीय राजधानियों त»
देश संकट में है. ये संकट धार्मिक टकराव का है जो तत्क्षण पैदा नहीं हुआ. यह एक लंबी विवादास्पद ऐतिहासिकता की उपज हैं. इस स»
हाल ही में देश की राजधानी दिल्ली के साथ ही आर्थिक राजधानी मुंबई में हुई दो हत्याओं ने युवा पीढ़ी द्वारा मन से चुने»
जदयू अध्यक्ष ललन सिंह की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अभद्र टिप्पणी के बाद राजनीति ग़र्मा गई है. उनके द्»
भारत की सनातन संस्कृति में पर्वों-त्योहारों की अविरल श्रृंखला इसकी अखंड जिजीविषा, अदम्य उत्साह व शाश्वत जीवन दर्शन और रा»
भाषा संस्कृति की नींव है. भाषा सदैव दो दिशीय जिम्मेदारी का निर्वहन करती है. एक तरफ ये समाज में संचार एवं अभिव्यक्ति का»
राम कथा वाचक पिछले कुछ समय से विवादों में फंसते रहें हैं। पहले मुरारी बापू विवादों में घिरे फिर कुमार विश्वास, जो»
सन् 2014 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा द्वारा ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ का नारा उछाला गया. जनता के समर्थ»
अंततः सर्वोच्च न्यायालय ने नूपुर शर्मा को राहत देते हुए उनके खिलाफ दर्ज तमाम प्राथमिकी को दिल्ली स्थानांतरित करने का आदे»
देश में लंबे समय से ईमानदार राजनीति की उम्मीद की जाती है. दावे तो बहुत से दलों ने किये किंतु आधिकारिक दावा लेकर प»
सामान्यतः वामपंथ कोई एक विचारधारा नहीं बल्कि साम्यवाद, समाजवाद, मार्क्सवाद इत्यादि विचाधाराओं का सामूहिक नाम है. वामप»
किसी व्यक्ति के पिता के नाम का अशिष्ट सम्बोधन अमर्यादा की पराकाष्ठा है और अगर वह व्यक्ति देश का प्रधानमंत्री हो त»
भारत को विभिन्नता में एकता के प्रतिमान राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत किया जाता हैं. यह विभिन्नता भाषायी, नृजातीय, धार्मिक»