भ्रष्टाचार एवं अकर्मन्यता के केंद्र बनते विश्वविद्यालय
जनवादी परंपरा के लेखक मुक्तिबोध अपनी ‘साहित्यिक डायरी’ में लिखते हैं, “दिल्ली से प्रांतीय राजधानियों त»
जनवादी परंपरा के लेखक मुक्तिबोध अपनी ‘साहित्यिक डायरी’ में लिखते हैं, “दिल्ली से प्रांतीय राजधानियों त»
देश संकट में है. ये संकट धार्मिक टकराव का है जो तत्क्षण पैदा नहीं हुआ. यह एक लंबी विवादास्पद ऐतिहासिकता की उपज हैं. इस स»
हाल ही में देश की राजधानी दिल्ली के साथ ही आर्थिक राजधानी मुंबई में हुई दो हत्याओं ने युवा पीढ़ी द्वारा मन से चुने»
जदयू अध्यक्ष ललन सिंह की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अभद्र टिप्पणी के बाद राजनीति ग़र्मा गई है. उनके द्»
भारत की सनातन संस्कृति में पर्वों-त्योहारों की अविरल श्रृंखला इसकी अखंड जिजीविषा, अदम्य उत्साह व शाश्वत जीवन दर्शन और रा»
भाषा संस्कृति की नींव है. भाषा सदैव दो दिशीय जिम्मेदारी का निर्वहन करती है. एक तरफ ये समाज में संचार एवं अभिव्यक्ति का»
राम कथा वाचक पिछले कुछ समय से विवादों में फंसते रहें हैं। पहले मुरारी बापू विवादों में घिरे फिर कुमार विश्वास, जो»
सन् 2014 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा द्वारा ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ का नारा उछाला गया. जनता के समर्थ»
अंततः सर्वोच्च न्यायालय ने नूपुर शर्मा को राहत देते हुए उनके खिलाफ दर्ज तमाम प्राथमिकी को दिल्ली स्थानांतरित करने का आदे»
देश में लंबे समय से ईमानदार राजनीति की उम्मीद की जाती है. दावे तो बहुत से दलों ने किये किंतु आधिकारिक दावा लेकर प»
सामान्यतः वामपंथ कोई एक विचारधारा नहीं बल्कि साम्यवाद, समाजवाद, मार्क्सवाद इत्यादि विचाधाराओं का सामूहिक नाम है. वामप»
किसी व्यक्ति के पिता के नाम का अशिष्ट सम्बोधन अमर्यादा की पराकाष्ठा है और अगर वह व्यक्ति देश का प्रधानमंत्री हो त»
भारत को विभिन्नता में एकता के प्रतिमान राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत किया जाता हैं. यह विभिन्नता भाषायी, नृजातीय, धार्मिक»
कब किसी की मेहरबानी चाहिए पर हमें भी साँस आनी चाहिए ज़ात, मज़हब, रंग, बोली जो भी हो, दिल मगर»
सार्वजनिक जीवन में भाषा की मर्यादा क्या हो इसकी कोई स्थापित संहिता नहीं है. किंतु मानव समाज में सभ्यता के साथ ही एक अघो»
कौन लेगा अब ख़बर भी इस जहाँ में बेख़बर की; बात इक दिन की नहीं है बात है इक उम्र भर की. ये तमाशा और तेरी ये जवाँ महफ़िल ओ»
दियना घरे- घरे बारऽ, राह सगरी सवार ऽ 6 कि अंजोरिया बढ़े ना चान अंगने उतारऽ ,कि अजोरिया बढ़े ना चमकत रहे देश क माट»
वर्तमान भारतीय राजनीति में वामपंथ के लिए यह सबसे बुरा वक्त हैं, बुरा इसलिए क्योंकि वो राजनीतिक रूप से इस समय»
सर्वोच्च न्यायालय ने जम्मू कश्मीर में विधानसभा और संसदीय क्षेत्रों के परिसीमन को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज»