नेहरू की जुबानी
संविधानवाद के उतार-चढ़ाव में वर्ष 1935 मील का पत्थर है। उससे जो हमारी संवैधानिक यात्रा शुरू हुई, वह इतिहास के अगर-»
संविधानवाद के उतार-चढ़ाव में वर्ष 1935 मील का पत्थर है। उससे जो हमारी संवैधानिक यात्रा शुरू हुई, वह इतिहास के अगर-»
बहस समापन की ओर बढ़ रही थी। साथ साथ् सहमति के स्वर एक होने लगे थे। संविधान सभा के सदस्य लक्ष्य संबंधी प्रस्ताव का»
पहले सप्ताह में तीन खास बातें हुई। 10 दिसंबर, 1946 को जवाहरलाल नेहरू ने एक प्रस्ताव पेश किया कि ‘यह सभा संविधान सभा कार्»
संविधान सभा के रास्ते में अवरोधों के ऊंचे पहाड़ ही पहाड़ थे। कांग्रेस नेतृत्व को एक पगडंडी खोजनी पड़ी। तब ही संविधान सभा»
अध्यक्ष के आसन पर बैठने की बारी अब डॉ. राजेंद्र प्रसाद की थी। बधाई भाषण के क्रम में ‘भारत-कोकिला और बुलबुले हिन्द’ सरोजि»
मुस्लिम लीग की अनुपस्थिति संविधान सभा पर अंत तक छाई रही। इस तरह मानो संविधान सभा पर मुस्लिम लीग की प्रेत बाधा मंड»
अपना संविधान बनाने की धुन में डूबे रहने के कारण क्या कांग्रेस नेतृत्व ने भारत विभाजन के खतरे को नहीं समझा? 1935 के ब्रिट»
संविधान के लक्ष्य का प्रस्ताव ‘सभी सदस्यों ने खड़े होकर स्वीकार किया।’ यह 22 जनवरी, 1947 की ऐतिहासिक घटना है। उसी»
संविधान सभा के पांचवें दिन पंडित जवाहर लाल नेहरू ने लक्ष्य संबंधी प्रस्ताव रखा। वे चाहते थे कि उसे संविधान सभा बि»
लक्ष्य संबंधी प्रस्ताव पर संविधान सभा ने डा. भीमराव अंबेडकर का भाषण दत्तचित्त होकर सुना। इसकी पुष्टि अध्यक्ष डॉ.»
संविधान सभा में पंडित जवाहरलाल नेहरू के लक्ष्य संबंधी प्रस्ताव पर दूसरे चरण की बहस महीने भर बाद फिर से शुरू हुई।»
हर समय की अपनी समस्याएं होती हैं, जिनकी जड़ें नजदीक या दूर के इतिहास में पाई जाती हैं। इसलिए उस समय पर ध्यान दिया»
अभी तो सिर्फ शुरुआत ही हुई है। बहुत पहले ही यह हो जाना चाहिए था। आश्चर्य तो इस बात पर है कि किसी प्रधानमंत्री को»
सचमुच बहस इसे कहते हैं जो अब छिड़ी है। ‘बहस’ अरबी शब्द है। हिन्दी में खप गया है।लेकिन इसका मतलब अपने–अपने माफिक ल»
बृजकिशोर शर्मा ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्द का संविधान की उद्देशिका में समावेश करने का केवल इतना अर्थ हुआ कि हमने नामपट्ट मे»
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने सुनवा»
संवैधानिक आधार पर महिलाओं की खतना प्रथा को परखा जाएगा। उच्चतम न्यायायलय दाउदी बोहरा मुसलमानों में महिलाओं की खतना प्रथा»
लोकतंत्र की जन्मभूमि है भारत सुभाष कश्यप संविधान सभा में भी, और उसकी समितियों में काफी वाद-विवाद हुआ। इस वाद-विवाद के बा»
सुप्रीम कोर्ट में आज सोमवार को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 35A के ख़िलाफ़ दायर याचिकाओं की»