पुस्तक समीक्षा

डॉ. नीरज कनौजिया के कविता संग्रह ;दर्द की लकीरें’ की कविताओं में पीड़ा के संत्रास के साथ ही जीवन संघर्ष और उम्मीदें भी हैं

कौन यहां किसका अपना  ,है जग केवल कोरा सपना है , छलना तो केवल छलना है , साँसों के हर तार बंधे हैं , जीवन को बरबस जलना है »

राम की अनंत कथा को हेमंत ने सिफत से गूथा है, नए सिरे से !

हेमंत शर्मा की “राम फिर लौटे” (प्रभात प्रकाशन) को पढ़ना लाजिमी हैं, अयोध्या के राम से पूर्णतया अवगत होने के हेतु। जो नही»