राम के पुरखे भगीरथ कुछ इसी किस्म के रहे होंगे
लोग नदी में जान तो दे देते है या जल.समाधि लेते है लेकिन नदी के जीवन के लिए अपनी जान दे देना सनातन संस्कृति के संवाहक ही»
लोग नदी में जान तो दे देते है या जल.समाधि लेते है लेकिन नदी के जीवन के लिए अपनी जान दे देना सनातन संस्कृति के संवाहक ही»
अफ्रीका की जिन बातों ने विश्व की प्रमुख शक्तियों का ध्यान आकर्षित किया है, उनमें उसकी जनसंख्या में युवा लोगों के»
गुजरात में कच्छ जिले के एक गांव सतपार में एक सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत बहु»
त्रेतायुग के विश्वामित्र ने अयोध्या को जनकपुर से मिलाया। अयोध्या और जनकपुर के बीच संबंधों की डोर बांधी। मर्यादा पुरुषोत्»
अंग्रेजी के ‘फ्रीडम’ शब्द और भारतीय भाषाओं के ‘स्वतंत्रता’ और उसके समानार्थी शब्दों को पर्यायवाची के रूप में उपयो»
इस वर्ष छात्रसंघ चुनाव के परिणामों से स्पष्ट है कि जवाहर लल नेहरू विश्वविद्यालय अभी भी वामपंथियों का गढ़ बना हुआ है। अखिल»
पंचायती राज की कल्पना, गांधीजी की शासन और समाज की दो कल्पनाओं के मेल पर आधारित है। पंचायती राज नीचे से उस प्राथमिक समुदा»
हर समय की अपनी समस्याएं होती हैं, जिनकी जड़ें नजदीक या दूर के इतिहास में पाई जाती हैं। इसलिए उस समय पर ध्यान दिया»
भारत के बारे में कार्ल मार्क्स की जानकारी बहुत सतही थी। अपने जीविकोपार्जन के लिए कार्ल मार्क्स ने अमेरिकी अखबारों के लिए»
भीमा कोरेगांव की हिंसा के सिलसिले में महाराष्ट्र पुलिस ने अनेक स्थानों पर छापे मारकर पांच लोगों को गिरफ्तार किया»
मालदीव छोटे-छोटे द्वीपों वाला चार लाख आबादी का छोटा-सा देश है। इस छोटे से देश ने अपने यहां बड़ा परिवर्तन कर दिया ह»
शांत सरोवर में ‘कमल’ खिलता है। जो परिवार, समाज और देश अशांत है, वहां विकास की बदरंग तस्वीरे है। अल्पसंख्यकों के बीच बोहर»
आम चुनाव आते ही भारतीय राजनीति दलीय समर में बदल जाती है। अगले वर्ष आम चुनाव होने हैं और उसके लिए अभी से राजनैतिक»
अभी तो सिर्फ शुरुआत ही हुई है। बहुत पहले ही यह हो जाना चाहिए था। आश्चर्य तो इस बात पर है कि किसी प्रधानमंत्री को»
हमारे वेदों और पुराणों में जल, पृथ्वी, वायु, आकाश इत्यादि को देवों के रूप में वंदनीय माना गया है। इसी कारण हमने प»
सचमुच बहस इसे कहते हैं जो अब छिड़ी है। ‘बहस’ अरबी शब्द है। हिन्दी में खप गया है।लेकिन इसका मतलब अपने–अपने माफिक ल»
रामनाथ गोयनका के निधन से इंडियन एक्सप्रेस समूह पर ग्रहण लग गया। ऐसा हो ही नहीं सकता था कि जनसत्ता उससे अछूता रहे।»
सद्गुरु जग्गी वासुदेव का नदी अभियान विनोबा के भूदान आंदोलन सरीखा है। विनोबा ने तब के सबसे बड़े सवाल पर जनमत जगाया»
महात्मा गांधी से जब यूरोपीय सभ्यता के बारे में पूछा गया था तो उन्होंने इसकी खिल्ली उड़ाई थी। भारतीय दृष्टि से सभ्यता का आ»