संविधान की उद्देशिका और नेहरू का लक्ष्य संबंधी प्रस्ताव
भारत के संविधान की उद्देशिका का संबंध गर्भ-नाल की भांति उस लक्ष्य संबंधी प्रस्ताव से जुड़ा हुआ है जिसे पंडित जवाहरलाल नेह»
भारत के संविधान की उद्देशिका का संबंध गर्भ-नाल की भांति उस लक्ष्य संबंधी प्रस्ताव से जुड़ा हुआ है जिसे पंडित जवाहरलाल नेह»
तत्कर्म यन्न बन्धाय सा विद्या या विमुक्तये। आयासायापरं कर्म विद्यऽन्या शिल्पनैपुणम्॥ अर्थात कर्म वही है जो बंधनो»
कला और सृजनात्मकता का मतलब प्रकृति-नया कुछ करना है, तो पीछे का सबकुछ छोड़ना पड़ता है कला- अनुभूति के अनुभव को आकार देना»
दूसरा विश्व युद्ध छिड़ने पर संविधान सभा के लिए पंडित नेहरू के अभियान को दो अनपेक्षित समर्थन मिले। पहला समर्थन उन्हें महात»
भारत में 15 अगस्त को ब्रिटिश शासन से मुक्ति के रूप में याद किया जाता है। इस आधार पर यह मान लिया जाता है कि समस्त भारतवास»
लंबे संघर्ष के बाद रामलला का मंदिर बनने जा रहा। संघर्ष के कई योद्धा आज हमारे बीच नहीं हैं। वो भी हम सबकी आंखों से इस गौर»
अयोध्या ऐसी भूमि है, जहां सभी धर्मों के बहुरंगी फूल खिलते हैं। हिंदू, जैन, बौद्ध, सिक्ख सबके सब इसके आंगन में पलते हैं,»
अतीत की अयोध्या से शुरू हुई धर्म, संस्कृति और अध्यात्म की त्रिवेणी वर्तमान तक बह रही है। यह धारा कभी तेज तो कभी धीमी हो»
श्री हरि विष्णु ने रक्ष संस्कृति के विनाश के लिए अयोध्या में राजा दशरथ के यहां श्रीराम के रूप में अवतार लिया था। यह अवात»
रामलला का मंदिर बनने जा रहा। यह एक दिन में नही हुआ। अयोध्या में कदम दर कदम अयोध्या आंदोलन के संघर्ष के साथियों की गवाहिय»
तुलसी ने “बयरु न कर काहू सन कोई, राम प्रताप बिषमता खोई” भी कहा था,और “नृपहिं दोष नहीं दिन्हिं सयाने»
स्वामी वामदेव एक भोले-भाले विनम्र संत थे। छोटे कद वाले वामदेव के भीतर संतई के सारे गुण थे। उन्होंने अयोध्या में राममंदिर»
स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती वही शंकराचार्य थे, जिनकी अध्यक्षता में पांचवीं धर्मसंसद की विशेष बैठक हुई, जहां कारसेवा की ता»
स्मरण होगा कि मई 1992 में संतों ने उज्जैन की बैठक में कारसेवा की तारीख पक्की कर दी तो राजनीतिक नेतृत्व सख्ते में आ गया थ»
यह बात कम लोग जानते हैं कि राममंदिर आंदोलन के सारे सूत्र मोरोपंत पिंगले के पास थे। वही इस आंदोलन के शिल्पी थे। अयोध्या म»
शिक्षा-दीक्षा से रसायन शास्त्री एचवी. शेषाद्रि राम जन्मभूमि आंदोलन में संघ का मुखर चेहरा थे। उनके ऊपर संघ की ओर से राम ज»
महाराष्ट्र के हिंगोली जिले के कडोली कस्बे में जनमे चंडिका दास अमृत राव देशमुख को दुनिया नानाजी देशमुख के नाम से जानती है»
अपनी राजनीतिक जरूरत को महसूस कर विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार ने उडुपि के पेजावर स्वामी से संपर्क स्थापित किया। यह बात 1»
वीपी सिंह की सरकार के समय अयोध्या आंदोलन अपने उफान पर था। उन्हीं दिनों सरकार ने एक ऐसे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को चुना जो ध»