अपराधियों से आक्रांत जनतंत्र
डॉ. आंबेडकर का कहना था कि, “संवैधानिक नैतिकता एक स्वाभाविक भावना नहीं है. इसका क्रमिक विकास किया जाता है.” क»
डॉ. आंबेडकर का कहना था कि, “संवैधानिक नैतिकता एक स्वाभाविक भावना नहीं है. इसका क्रमिक विकास किया जाता है.” क»
बल्कि यह किस्सा है एक माता और दो वालिदाओं का। इनमें सर्वप्रथम परखें बेगम खुशनुदा को। उन्हें हार्दिक सलाम ! अपने बेटे गुल»
चुनावी व्यय एक ऐसा मुद्दा है जिसमें निर्वाचन आयोग, राजनीतिक दल एवं भारत सरकार तीनों के ही अपने अपने दृष्टिकोण हैं. सैद्ध»
रूसी पत्रकार व्लादिमीर कारा-मुर्जा को मास्को की अदालत ने कल (17 अप्रैल 2023) पच्चीस साल की कठोर सजा दे दी। गुनाह बस इतना»
कोको अब स्वस्थ हो रहा है। उसकी शराब की लत कमजोर हो रही है। चस्का छूट रहा है। यह दो-वर्षीय लेब्राडोर नस्ल का शिकारी कुत्»
भारत में पंचायतों की परंपरा अत्यंत प्राचीन रही है.भारतीय इतिहास के हर दौर में पंचायतों का अस्तित्व रहा है. प्राण जी के श»
कोहिनूर हीरा फिर सुर्खियों में है। खासकर गत सप्ताह से। यूं यह सदियों से विवाद में रहा। द्वारकाधीश कृष्ण के स्यामंतकमणि»
सीमांत ग्राम किबिथु (अरुणाचल) से करीब 800 किलोमीटर दूर राजधानी गुवाहाटी में ब्रह्मपुत्र नदी के पलाशबारी और सुआलकुची तट»
आज १४ अप्रैल. डॉ. बाबासाहब आंबेडकर जी की जयंती. अनेक राज्यों में चुनाव का माहौल हैं. कांग्रेस के नेता आज डॉ. आंबेडकर जी»
जी.आर. एल्टन लिखते हैं, ‘प्रतीक पीढ़ी अपने दृष्टिकोण से सामाजिक आवश्यकतानुसार अतीत की व्याख्या करती है, उसी प्रकार»
यह शोक-सूचना है, एक शौर्य दास्तां भी, उस अमेरिकी यहूदी वकील की जिसने दस लाख बेगुनाह नागरिकों की नृशंस हत्या के दोषी हिटल»
माफिया अतीक अहमद के हत्यारे-पुत्र असद अहमद को मारकर योगी आदित्यनाथ की पुलिस ने 48 दिनों बाद पीड़िता को नैसर्गिक न्याय दिल»
१९१९ की १३ अप्रैल को बैसाखी थी. रविवार का दिन था. रौलेट एक्ट के विरोध में सारे देश में प्रदर्शन हो रहे थे. उसी शृंखला मे»
बड़ी याद आती है जवाहरलाल नेहरू की। भले ही आज न तो उनकी पुण्यतिथि है, न जयंती। फिर कवि प्रदीप की पंक्ति कौंध जाती है : “ज»
आत्मनिर्भरता या आत्मावलंबन का अर्थ है स्वयं पर भरोसा करना, या स्व पर निर्भरता. आत्मनिर्भरता के चार आयाम होते हैं, आर्थिक»
आजादी के साढ़े सात दशक बाद भारतीय मीडिया आज भी अंग्रेजी औपनिवेशिक प्रवृत्ति से ग्रस्त है, गाफिल है। विदेश के समाचार-प्रका»
हायतोबा बड़ा मच गया फिर, जब हाल ही में सुर्खियों में खबर आई कि इतिहास की पुस्तकों में से मुगल काल हटा दिया गया है। यह वा»
कौन कहता है कि यूरोपीय संसद में रिश्वतखोरी नहीं होती ? ऐसी बदचलनी केवल भारतीय संसद में ही नहीं होती। कल (11 दिसंबर 202»
दिनांक 1 अप्रैल को भोपाल में हुतात्मा हेमू कालानी जन्मशताब्दी समारोह संपन्न हुआ. इस समारोह में विदेशों से भी अनेक सिंधी»