मंदिर निर्माण के लिए महंत अवैद्यनाथ ने जब चलाया पहला फावड़ा – अयोध्या के योद्धा

अयोध्या आंदोलन के  पक्ष अनेक हैं। अनंत हैं। आंदोलन की पूर्णाहुति के पश्चात इस पर ध्यान दिया जाने लगा है। लेकिन जब कभी इस»

अयोध्या आंदोलन के हनुमान थे अशोक सिंहल – रामबहादुर राय

जाने-माने पत्रकार भानुप्रताप शुक्ल ने अपने जीवन के अंतिम दिनों में एक राज खोला। वह यह कि उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक सं»

भावविह्वल हैं रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की तपस्थलियां

ये भावविह्वल हैं। आनंद में निमग्न हैं, सदियां बीत गईं, प्रतीक्षा में। आखिर वह घड़ी आ ही गई। अयोध्या की आध्यात्मिक ऊर्जा»

भारतीय कारीगरी, मंदिरों की परंपरा और गांवों के नामकरण का इतिहास – रविन्द्र शर्मा गुरूजी

भारतीय कारीगरी, मंदिरों की परंपरा और गांवों के नामकरण का इतिहास – रविन्द्र शर्मा गुरूजी»

कोविड मरीजों को ठीक करने में सफल हो रही, इएसआईसी कानपुर के आयुर्वेदाचार्य डा. अरविंद दुहन की टीम

डा. अरविंद दुहन सिर्फ नाम नही। यह पहचान है आयुर्वेद की। यह पहचान है युवा जोश की। यह पहचान है असाध्य बीमारियों से दो-दो ह»

औपचारिकता भर रह गया डब्ल्यूटीओ, (इक्कीसवीं सदी की भारत यात्रा, भाग-3)

साल 2005 के बाद पूरी दुनिया में “विकास” के बारे में बहस भी शुरू हो गई। 2008 के अमेरिका मे हुई मंदी का अमेरिका पर विशेष प»

राष्ट्रीय चेतना का उभार (इक्कीसवी सदी में भारत की यात्रा – भाग-2)

भारत पहले रूस, फिर थोड़े समय चीन और 1990 से अमेरिका बनने की कोशिश मे लगा। पर ब्राजीलीकरण की ओर बढ़ा। ब्राजील की आबादी उत्त»

भारतीय शिक्षा व्यवस्था, युद्ध कौशल और कारीगरी की परंपरा – रविन्द्र शर्मा गुरूजी

भारत में परिवार, शिक्षा व्यवस्था और कारीगरी की परंपरा के साथ ही युद्ध कौशल पर रवीन्द्र शर्मा गुरू जी की दृष्टि।»

इक्कीसवीं सदी का भारत-अमीर देशों की कठपुतली हैं वैश्विक संस्थाएं

जैसा कई बार कहा जा चुका है कि समाज मे पिछले 500 वर्षों मे जो बदलाव आया है उतना बदलाव पिछले 5000 वर्षों मे नही आया।उपनिवे»

गांवों की भूमिका विषय पर रविन्द्र शर्मा गुरू के विचार

विज्ञान, कला, आध्यात्मिकता और सामाजिक अर्थशास्त्र भारत के गांवों की महत्वपूर्ण चीजें थी। आज जब कोरोना की महामारी से दुनि»