कच्छतिवु किसका : भारत का ? बहू कैसे तोड़े सास का वादा !!
भाजपायी अत्यंत प्रफुल्लित हो रहे होंगे। उनकी किस्मत से सोनिया-कांग्रेस के छीकें में सूराख पड़ गई। फूटना शेष है। बेंगलुर»
भाजपायी अत्यंत प्रफुल्लित हो रहे होंगे। उनकी किस्मत से सोनिया-कांग्रेस के छीकें में सूराख पड़ गई। फूटना शेष है। बेंगलुर»
प्रेमी जन हेतु आज का दिन संताप का है, संत्रासवाला भी। मगर वैज्ञानिकों के लिए कीर्तिमान है, यशस्वी भी। आज ही के दिन (20»
समाचार और प्रचार में घर्षण का मसला मुद्दतों से चला आ रहा है। मीडिया जगत में यह सुर्खियों तथा विज्ञापन के आकार में चर्चित»
वरिष्ठ समाजवादी चिंतक सच्चिदानंद सिन्हा महात्मा गाँधी की नैतिक-आध्यात्मिक विचारधारा पर आधारित अपनी चर्चित किताब ‘न»
कभी एक लोकोक्ति सुनी थी : “जिसने लाहौर नहीं देखा, उसने कुछ भी नहीं देखा।” इसी को तनिक फिराकर पेश करूं : जिस चैनल पत्रका»
इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, क्षेत्रीय केन्द्र वाराणसी द्वारा महात्मा गाँधी तथा लोकनायक जयप्रकाश की अमूर्त विरास»
इस वर्ष का ‘प्रभाष प्रसंग’ एक यादगार होगा। यह निरंतरता में चौदहवां है। प्रभाष जी अपने जीवन के 72वें साल में दृष्य जगत से»
सदियों से अंधेरे महाद्वीप बने रहे अश्वेत अफ्रीका के करोड़ों जन को एक सूत्र में पिरोने वाली जुबान स्वाहिली का आज प्रथम “अ»
आतंकी विषय-वस्तु पर एक नई फिल्म “बहत्तर हूरें” नई दिल्ली के जेएनयू (नेहरू विश्वविद्यालय) में कल (मंगलवार, 4 जुलाई 2023)»
फ्रांस जल रहा है। सरकारी इमारतें धधक रही हैं। पुलिस पर जनाक्रोश इतना उभर पड़ा है कि हर सत्ता का प्रतीक हमले का लक्ष्य बन»
पिछले दिनों एक चर्चित हिंदी समाचार चैनल की महिला उद्घोषिका का वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें वे स्टूडियो में छाता लेकर एं»
एक दौर होता था उसका भी कभी। आतुरता से उसका इंतजार था। उत्कंठा भरा। उतावलेपन की हद तक। व्याकुलता समाए। तब अभिसार फिर परिर»
संविधान, जिसे भारत में धर्म ग्रन्थ सरिखा सम्मान प्राप्त है, के इतिहास में कई महत्वपूर्ण तिथियां अंकित हैं. ऐसी ही एक तिथ»
दो वाकये, एक साथ, एक ही समय पर हुये। आपस में रहे भी दोनों संबद्ध। (23 जून 2023) के दिन। पटना और सुदूर कोची (केरल) में। त»
दिनांक 26 जून 2023 को सुबह 11 बजे से इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के क्षेत्रीय केन्द्र वाराणसी द्वारा गाँधी विद्य»
यूं तो भारत जब भी पाकिस्तान से जीतता है, बड़ा सुख मिलता है। हम आह्लादित हो जाते हैं। दिन में होली, रात दिवाली मनती है। म»
कार्ल आर. पापर ने अपने लेख ‘द पावर्टी ऑफ हिस्टारिसीज्म’ में लिखा है, इतिहास का कोई अर्थ नहीं होता, क्योंकि इ»
गत दिनों एक संक्षिप्त समाचार, नन्हा सा, मगर राष्ट्र के हित में विशद, दब गया, ओझल ही रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अम»
भारत में जनसमर्थित आंदोलनों की पृष्ठभूमि बमुश्किल एक सदी पुरानी है. 20वीं सदी के पूर्वांर्ध में देश ने आधुनिक प्रकार के»