जब इंदिरा गांधी ने लोकतंत्र का गला घोट दिया था

 

विजया लक्ष्मी

25 जून 1975 ,जब लोकतंत्र का गला घोट दिया गया था | वाकया शुरू होता है ,1971 के चुनाव से सोशलिस्ट पार्टी के नेता राजनारायण को इंदिरा गांधी ने रायबरेली से हरा दिया | उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दायर कर आरोप लगाया कि इंदिरा ने चुनाव में सरकारी मशीनरी का दुरोपयोग कर चुनाव जीता है | शांति भूषण ने उनका केस लड़ा | इंदिरा गांधी को हाईकोर्ट में उपस्थित होना पड़ा | वह किसी भारतीय प्रधानमंत्री का कोर्ट में पेश होने का  पहला मामला था |

12 जून 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जगमोहनलाल सिन्हा ने फैसला सुनाया ,इंदिरा गांधी दोषी पायी गयी , उनकी लोकसभा सीट रिक्त घोषित कर दी गई | उन पर अगले छह साल तक चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगा दी गई |फैसले को चुनौती -इंदिरा गांधी ने फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी | 24 जून 1975 को जस्टिस वी आर कृष्णा अय्यर ने हाईकोर्ट के फैसले को बरक़रार रखते हुए इंदिरा गांधी को सांसद के रूप में मिलने वाली सभी सुविधओं से वंचित कर दिया | उन्हें संसद में वोट देने से वंचित कर दिया गया लेकिन उनको प्रधानमंत्री बने रहने की अनुमति मिल गई | अगले दिन जयप्रकाश नारायण ने दिल्ली में बड़ी रैली आयोजित की | उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारीयों को सरकार के अनैतिक आदेशों को मानने से इन्कार कर देना चहिए | उनके इस बयान को देश के भीतर अशांति भड़काने के रूप में देखा गया |

लोकतंत्र का काला दिन

सियासी बवंडर ,भीषण राजनीतिक विरोध और कोर्ट के आदेश के चलते इंदिरा गांधी अलग थलग पड़ गई | ऐसे में पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री  सिद्धार्थ शंकर रे ने उनको देश में आंतरिक आपात काल घोषित करने की सलाह दी | इसमें संजय गांधी का भी प्रभाव माना जाता है | सिद्धार्थ शंकर  ने इमरजेंसी लगाने संबंधी मसौदे को तैयार किया था | 25 जून 1975 की रात को राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने प्रधानमंत्री की सलाह पर संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत आपातकाल घोषित कर दिया | लोकतंत्र को निलंबित कर दिया गया |

अनुच्छेद 352 के तहत आपातकाल लागू होने के बाद इंदिरा गांधी को आसाधारण शक्तियां मिल गई | विपक्षी नेताओं जयप्रकाश नारायण ,लालकृष्ण आडवाणी ,चरण सिंह ,अटल बिहारी बाजपेयी ,मोरारजी देसाई ,राजनारायण के अलावा सैकड़ों नेताओं कार्यकर्ताओं को मीसा एक्ट के तहत गिरफ्तार कर लिया गया | कई राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध लगा दिया गया | राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे संगठनों को प्रतिबंधित कर दिया गया |

मीसा 1971 में पारित एक विवादित कानून था ,जिसमें सुरक्षा एजेंसियों को असीमित शक्तियां मिली थीं | इसके  तहत बिना वारंट के लोगों को गिरफ्तार कर लंबे समय तक जेलों में रखा जा सकता था |

इंदिरा गांधी को संसद में दो तिहाई बहुमत था ,उन्होंने कई कानूनों को अपने राजनीतिक फायदे के लिए बदल दिया | संविधान में संसोधन कर दिया गया | 42वा  संसोधन उसी दौर में किया गया था | आपातकाल के दौरान देश की बढ़ती  आबादी को संतुलित करने के लिए जबरन पुरुष नसबंदी की गयी | लोगों को इससे बचने के लिए लंबे समय तक छुप कर रहने को मजबूर होना पड़ा ,क्योंकि लोगों के इच्छा के विरुध्द नसबंदी कराइ जा रही थी |

सबसे ज्यादा मिडिया की आजादी पर अंकुश लगाया गया | सेंसरशिप लागू  कर दी गयी ,इस पर अंकुश लगाने के लिए इंदिरा गांधी ने इंद्रकुमार गुजराल को हटा कर विद्या चरण शुक्ल को सूचना प्रसारण मंत्री बनाया दिया  |

सभी जगहों से आलोचनाओं से घिरने के बाद 18 जनवरी 1977 को लोकसभा भांग करने की घोषणा की गयी ,सभी नेताओं को जेल से रिहा किया गया | चुनाव में इंदिरा गांधी की बुरी तरह से हार हुई ,वो खुद भी चुनाव हर गई | मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी को अपार  बहुमत मिला और इस तरह से आपात काल के काले समय का अंत हुआ | जनता ने इंदिरा गांधी और उसकी पार्टी कांग्रेस को चुनाव में धूल चटा दिया और देश में आपातकाल के काले अध्याय का अंत हुआ |

 

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