जेट एयरवेज़ के ‘आर्थिक संकट’ का पूरा सच क्या है

देश की जानी-मानी एयरलाइंस जेट एयरवेज़ के हालात क्या इस ओर इशारा कर रहे हैं कि भारत की एविएशन इंडस्ट्री ख़तरे में है.

मीडिया में आ रही ख़बरों की मानें तो जेट एयरवेज़ ने अपने पायलटों से कहा है कि कंपनी मुश्किल दौर से गुज़र रही है और इसीलिए उसे अपने ख़र्च में कटौती करनी पड़ रही है. रिपोर्ट्स के मुताबिक कहा गया है कि कंपनी ने अपने कर्मचारियों से कहा है कि उसके पास दो महीने तक का ही एयरलाइंस चलाने का पैसा है.

हालाँकि जेट एयरवेज़ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विनय दुबे ने मीडिया में आ रही ख़बरों को ख़ारिज किया है और कहा है कि कंपनी लगातार तरक्की कर रही है और अपने विमानों की संख्या में भी इजाफ़ा कर रही है.

बीबीसी को भेजे एक बयान में कंपनी ने माना है कि कंपनी अपना मुनाफा बढ़ाने की और खर्च में कटौती करने की कोशिश कर रही है. कंपनी सेल्स और डिस्ट्रिब्यूशन, कर्मचारियों की तनख्वाह, रखरखाव और फ्लीट सिम्प्लीकेशन में होने वाले खर्च को कम करने की कोशिशों में है.
कंपनी का कहना है कि इस मामले में कंपनी अपने कर्मचारियों से पूरे समर्थन की अपेक्षा करती है, उनसे बातचीत कर रही है और देश की मौजूदा स्थिति पर भी चर्चा कर रही है.

मौजूदा हालात के लिए कंपनी कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और भारतीय मुद्रा की गिरती कीमतों को कारण मानती है.

कंपनी का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ी हैं और कम कीमतों पर सेवा मुहैय्या कराने की कोशिश का असर कंपनी पर पड़ रहा है और इस कारण पूरी एविएशन इंडस्ट्री पर असर पड़ रहा है.
जेट कभी थी ‘सबसे बेहतर’

वरिष्ठ बिज़नेस पत्रकार आशुतोष सिन्हा कहते हैं कि जेट एयरवेज़ भारत की सबसे बेहतरीन एयरलाइन्स रही है और एक वक्त था जब अच्छे तरीके से चलाए जाने के लिए कई देशों में इसकी मिसाल दी जाती थी.

वो कहते हैं, “जहां तक मुझे याद है 2005 में कंपनी का आईपीओ आया था और कंपनी ने अपने शेयर पब्लिक को बेचे. कुछ वक्त तक कंपनी के शेयर्स का प्रदर्शन अच्छा था लेकिन फिर बाद में उसकी स्थिति एक तरह से रुक गई. कंपनी के स्टॉक का प्रदर्शन हमेशा औसत ही रहा है.

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