कला, साहित्य और संस्कृति के अदभूत रचनाकार थे प्रेमचंद

वाराणसी, 31 जुलाई (हि.स.)। उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचन्द की 138 वीं जयंती पर मंगलवार को महिला महाविद्यालय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में विविध कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर आयोजित गोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि संगीतज्ञ राजेश्वर आचार्य ने कहा कि कला, साहित्य और संस्कृति के अद्भूत रचनाकार थे प्रेमचंद। प्रेमचंद के साहित्य और समाज का जो संबंध है, उस पर प्रकाश डाल कहा क़फ़न कहानी प्रेमचंद की चेतना को प्रदर्शित करता है।

प्रेमचंद का पात्र सब कुछ होने के साथ-साथ मनुष्य होता हैं। प्राचार्या प्रो.चंद्रकला त्रिपाठी ने अतिथियों का स्वागत कर कहा कि प्रेमचंद सिर्फ हिंदी वाले ही नहीं हैं। प्रेमचंद जी आज क्यों प्रासंगिक हैं?क्योंकि प्रेमचंद किसान संस्कृति से होते हुए भारतीयता की बात रखते हैं। गोष्ठी में महाविद्यालय उर्दू विभाग के प्रो.रिफत जमाल, भौतिकी विभाग की आचार्या डॉ. स्वाति ने प्रेमचंद की लिखित कहानी ”सदगति”एवं अन्य कहानियों पर बनी फिल्म की चर्चा की। गोष्ठी के बाद नाट्य रूपांतरण सत्र में तृतीय वर्ष की छात्राओं ने मुंशी प्रेमचन्द की कथाओं की प्रस्तुति दी। नाटक के विभिन्न किरदारों में अंजली,वंदना,अर्चना,अंकिता, आदिता,निशा,आराधना और पूजा की भूमिका सराहनीय रही।

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