किसान आंदोलन के बहाने माओवादियों की हुंवां-हुंवां

किसान आंदोलन के मंच पर धीरे-धीरे वो सभी दिखाई दे रहे हैं जो शाहीन बाग में दिखते थे। इनके निशाने पर हमेशा नरेन्द्र मोदी होते हैं। मोदी विरोध के हर स्वर में ये स्वर मिलाते है। मोदी के विरोध में कहीं भी कोई भी आवाज सुनते ही हुंवां-हुंवां करने लगते हैं। यह करके वो अपने सहोदरों को आंमंत्रित करते हैं। वरवर राव और शरजील इमाम की रिहाई के पोस्टर तो लहराये जी जा चुके हैं। योगेन्द्र यादव तो पहले से जमे हैं। स्वरा भाष्कर की इंट्री भी हो चुकी थी, अब अरूंधती राय भी पहुंच गईं। उन्होंने किसानों से जो कहा वो गौर करने वाली बात है। उन्होंने कहाकि ‘जो आज आपके साथ हो रहा है या होने जा रहा है वह आदिवासियों के साथ बहुत पहले से शुरू हो गया था। बस्तर में नक्सली और माओवादी क्या कर रहे हैं, क्यों लड़ रहे हैं?’ इसका क्या ये मतलब नही निकलता कि मावोवादी बेचारे वही कर रहे जो आप कर रहे हैं।

वैसे अरूंधती राय पाकिस्तान की बहुत प्रिय हैं। धारा 370 हटने के बाद पाकिस्‍तान (Pakistan) की सरकार ने अपने ट्वीटर हैंडल Govt of Pakistan @pid_gov पर एक वीडियो पोस्‍ट किया था, जिसमें भारत विरोधी तस्‍वीरों के साथ ही अरुंधती राय की तस्‍वीर लगाई थी। तस्‍वीर के ऊपर  अंग्रेजी अखबार The Hindu की एक हेडिंग लगाई गई है, जो राय के एक बयान के रूप में थी। अरुंधती राय ने कहा था कि कश्‍मीर भारत का अभिन्‍न अंग नहीं है।

यही नहीं ये वही अरूंधती राय है जिन्होंने सीएए के खिलाफ चल रहे आंदोलन के दौरान दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों से कहा था कि सरकारी कर्मचारी जानकारी मांगने आपके घर आएं तो उन्हें गलत जानकारी दीजिए। अपना नाम रंगा बिल्ला बताइए और पता 7 रेस कोर्स रोड बताइए।

ये सब किसानों की मांगों को कमजोर कर रहे हैं। रास्ता भी अगर नहीं निकल पा रहा तो इन कुंठित आत्माओं की वजह से नहीं निकल पा रहा। इन वैचारिक सहोदरों की सांसे उखड़ रही हैं। इसीलिए हर विरोध में इन्हें अपनी संजीवनी दिखने लगती है।

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