मणिपुर : जातिगत हिंसा से उपजा तनाव

प्रज्ञा संस्थानजातिगत या आदिवासी और गैर आदिवासियों के बीच टकराव के बाद भड़की हिंसात्मक आंदोलन के दौरान मणिपुर में हालत और खराब हो गए हैं। इसके कारण मणिपुर में ‘शूट-एट-साइट’ का आदेश जारी किया गया है। राज्य में प्रदर्शनकारी जनजातीय समूह लगातार रैलियां निकाल रहे हैं. आंदोलनकारियों ने सड़क एवं रेल परिवहन को बाधित करने का प्रयास किया। इस दौरान आगजनी की कई घटनाएं और लोगों की जान जाने की भी ख़बरें हैं। मणिपुर में कानून व्यवस्था की स्थिति के बाद, पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे ने मणिपुर जाने वाली सभी ट्रेनों को रोक दिया गया है।

मणिपुर सरकार द्वारा ट्रेन की आवाजाही रोकने की सलाह के बाद यह फैसला लिया गया है। राज्य में लगातार बढ़ रही हिंसा को देखते हुए, मोबाइल डेटा के बाद अब मणिपुर में ब्रॉडबैंड सेवाएं भी निलंबित हैं। मणिपुर राज्य में मौजूदा स्थिति के कारण अगले 5 दिन के लिए इंटरनेट सेवाओं के निलंबन का आदेश दिया गया है। सरकार ने रिलायंस जियो फाइबर, एयरटेल एक्सट्रीम, बीएसएनएल अदि को हिंसा और अफवाह फैलाने के लिए ब्रॉडबैंड और डेटा सेवाओं पर रोक लगाने का आदेश दे दिया है।

गृह मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी लगातार राज्य के संपर्क में है और स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं। राज्य में इंटरनेट बंद है और कर्फ्यू लगने के कारण लोगों की समस्याएं बढ़ गयी हैं। प्राप्त सूचना के अनुसार बढ़ते दंगे-फसाद एवं विवाद की वजह से सरकार को नागरिकों की सुरक्षा का डर सता रहा है। प्रशासन ने हिंसाग्रस्त इलाकों में सख्ती बढ़ा दी है और राज्य की सुरक्षा के लिए सरकार ने ‘शूट एट साइट’ आदेश जारी किया है। आदेश के मुताबिक अगर इलाके में शरारती तत्व नजर आए तो उन्हें सुरक्षाबल देखते ही गोली मार सकते हैं। ऐसे आदेश बेहद संवेदनशील मामलों में जारी किए जाते हैं।

पिछले एक हफ्ते से मणिपुर में भड़की जातीय हिंसा की पृष्ठभूमि लगभग 10 वर्ष पूर्व ही तैयार हो गयी थी. गैर आदिवासी मैती समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिये जाने की माँग कर रहे थे. इसके अतिरिक्त वे सरकार पर जल, जंगल, जमीन के निजीकरण का आरोप लगा रहे थे. पिछले दिनों मणिपुर उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को मैती समुदाय की मांगो पर विचार करने एवं चार महीने के भीतर केंद्र सरकार को इन प्रस्तावों को भेजने को कहा. इसी के बाद आदिवासी और गैर आदिवासियों के बीच अधिकारिता का मामला गरमा गया. स्व हितों की रक्षा के नाम इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम द्वारा आंदोलन और बंद के आह्वान पर राज्य में जातिगत हिंसा भड़क गई.
अब परिस्थितियां बेकाबू हो रही हैं. आदिवासियों और बहुसंख्यक मेइती समुदाय के बीच हिंसा इतनी बढ़ गई है कि हालात बेकाबू हो गए हैं। जगह-जगह हिंसा की लपटें सुलग रही हैं। मणिपुर सरकार ने तब जाकर शूट एट साइट का आदेश जारी किया है। करीब 9,000 से ज्यादा लोगों को अलग-अलग गांवों से विस्थापित कर दिया गया है। मणिपुर में आदिवासियों और बहुसंख्यक मेइती समुदाय के बीच हिंसा भड़की है।

दंगा रोकने के लिए सेना और असम राइफल्स की 55 टुकड़ियां तैनात की गई हैं। सेना ने स्थिति बिगड़ने की स्थिति में तैनाती के लिए 14 टुकड़ियों को स्टैंडबाय पर रखा है। मणिपुर के कई जिले हिंसा की चपेट में हैं। भारतीय सेना ने नागरिकों से केवल आधिकारिक और सत्यापित स्रोतों के माध्यम से मिलने वाली जानकारी पर भरोसा करने का आग्रह किया है।  हिंसा को लेकर सेना के प्रवक्ता ने कहा – ‘अभी तक हिंसाग्रस्त चूड़चंदपुर में करीब 5,000 लोगों को सुरक्षित गृहों में पहुंचाया गया है, वहीं 2,000 लोगों को इंफाल घाटी और 2,000 अन्य लोगों को तेंगनौपाल जिले के सीमावर्ती शहर मोरेह में निकाला गया है।’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Name *