कर्नाटक चुनाव का दंगल

कर्नाटक चुनाव प्रचार अपने अंतिम चरण में पहुंच चुका है. 10 मई को वहां मतदान की तिथि निर्धारित है. यह चुनाव कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न हैं. लगातार चुनावी पराजयों ने उसकी क्षमता और अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है. स्थिति यह है कि एंटी इनकमबेंसी एवं दूसरे ज्वलंत मुद्दों के होते हुए भी कांग्रेस के लिए राह कठिन हैं. गृहमंत्री अमित शाह नें रविवार को बेलगावी में अपना रोड़ शो किया. उन्होंने भाजपा के न्यूनतम 127 सीटें जितने का दावा किया. उधर कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार आश्वस्त हैं कि उनकी पार्टी कम से कम से 141 सीटों पर जीत दर्ज करेगी.

ऐसा नहीं है कि बिहार और उत्तर प्रदेश ही जातीय-सामाजिक समीकरणों के संघर्ष में उलझें रहते हैं. प्रगतिशील माने जाने वाले कर्नाटक की स्थिति भी इससे भिन्न नहीं है. इन्हीं समीकरणों के कारण राज्य में भाजपा-कांग्रेस-जद(एस) के भी कांटे की टक्कर है. भाजपा जहाँ कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक अहिंदा में सेंध लगाने में लगी है तो वही कांग्रेस भाजपा के कोर वोटर लिंगायत में पैठ करना चाहती है. दूसरी ओर इन सभी की निगाहेँ जदएस के आधार वोक्कालिंगा पर गड़ी हैं.
लिंगायत समुदाय 17 फीसदी वोट के साथ कर्नाटक का सबसे बड़ा वोट बैंक हैं और उसके सबसे बड़े नेता येदियुरप्पा भाजपा के साथ हैं. लिंगायतों का तक़रीबन 100 सीटों पर प्रभाव है. कांग्रेस का आधार अहिंदा में कुरुवा, पिछड़ी, दलित और मुस्लिम शामिल हैं. कुरुवा समुदाय के सबसे बड़े नेता सिद्धारमैया कांग्रेसी हैं. कांग्रेस की समस्या यह है कि 16 प्रतिशत मुस्लिम वोट भाजपा विरोधी होकर भी उसके साथ गोलबंद होने के संकेत नहीं मिल रहे हैं. जदएस की सक्रियता मुस्लिम वोट बैंक मै सेंध लगा रही है. भाजपा ने चुनाव से ठीक पूर्व चार प्रतिशत मुस्लिम आरक्षण को समाप्त करके लिंगायतों एवं वोक्कालिंगा के बीच दो-दो प्रतिशत देने के फैसले ने चुनावी दावं ने उसके लिए नये मार्ग खोल दिये हैं. इससे कांग्रेस परेशान है.
हालांकि चुनावी ओपिनियन पोल के आंकड़े कुछ और कहानी कह रहें हैं. abp न्यूज़ के लिए सी वोटर के कर्नाटक के चुनावी ओपिनियन पोल में शामिल 44 फीसदी लोगों ने कांग्रेस का समर्थन किया जबकि 32 प्रतिशत बीजेपी से साथ थे. वहीं 15 प्रतिशत ने जेडीएस, 4 प्रतिशत ने त्रिशंकू परिणाम की उम्मीद जताई. इस सर्वे में कांग्रेस को 110 से 122 सीटें मिल रही हैं। वहीं बीजेपी को 73 से 85 सीटें मिल रही हैं।
 अधिकांश ओपिनियन पोल कांग्रेस के राज्य की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने की उम्मीद जता रहें हैं.  हालांकि कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलेगा. इंडिया टीवी-सीएनएक्स के सर्वे में कांग्रेस को 105 तो वहीं बीजेपी के खाते में 85 सीटें जाती दिख रही हैं। इसके साथ ही जनता दल एस को 32 तो वहीं अन्य को 2 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है। इस ओपिनियन पोल के मुताबिक कांग्रेस बहुमत से 8 सीट दूर दिख रही है। सर्वे के मुताबिक कांग्रेस को 40.32, बीजेपी को 35.5 फीसदी और जेडीएस को 17.81 फीसदी वोट मिल सकते हैं।

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