आपरेशन सिंदूर से भारत ने पूरी दुनिया को अपनी स्वदेशी रक्षा शक्ति का एहसास कराया है . इस पूरे आपरेशन में ब्रह्मोस ने आतंक के विरुद्ध अपनी अचूक मारक क्षमता का परिचय दिया है .ब्रह्मोस एक सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है जिसे पनडुब्बी, शिप, एयरक्राफ्ट या ज़मीन कहीं से भी छोड़ा जा सकता है.
भारत ने रूस के साथ एक साझेदारी में ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल को विकसित किया है. इसका नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा नदी के नाम पर रखा गया है.ब्रह्मोस दुनिया की सबसे तेज़ सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइलों में से एक है. ब्रह्मोस मिसाइल की गति ही इसकी सबसे बड़ी ख़ासियत है. यह आवाज की गति से क़रीब तीन गुना ज़्यादा तेजी से उड़ती है.
यही स्पीड इसे बहुत ही मारक और दुश्मन के रडार में कभी न पकड़ में आने वाली मिसाइल बनाती है. इसका निशाना इतना सटीक है कि 290 किलोमीटर की दूरी पर भी अपने लक्ष्य से एक मीटर घेरे के अंदर ही गिरती है. शुरू से अंत तक यह मिसाइल सुपरसोनिक गति से उड़ती है. यही इस मिसाइल को ख़ास बनाती है.
इस मिसाइल का इंजन अंत तक चालू रहता है. इस दौरान यूएवी की तरह ही इसके लक्ष्य को बदला जा सकता है.” इसका ‘सीकर सेंसर’ इतना घातक है कि एक समान कई लक्ष्य में से असली लक्ष्य पहचान कर उसे तबाह करने में सक्षम है.”इसकी ‘स्टीव डाइविंग’ तकनीक कमाल ही है. यह मिसाइल सतह से चंद मीटर ऊपर उड़ते हुए, सामने आने वाली बाधा को पार कर दुश्मन पर अचानक हमला करने की क्षमता रखती है.”
इस मिसाइल के निर्माण के लिए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानी डीआरडीओ के तत्कालीन प्रमुख डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और रूस के उप रक्षा मंत्री एनवी मिखाइलोव ने 12 फ़रवरी 1998 को हस्ताक्षर किए. इसके बाद ब्रह्मोस एयरोस्पेस कंपनी का गठन किया गया. इस समय यही कंपनी मिसाइल का उत्पादन कर रही है. ब्रह्मोस 290 किलोमीटर तक उड़ सकती है. यह 10 मीटर से लेकर 15 किलोमीटर तक की ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम है.
इसका पहला सफल परीक्षण 12 जून, 2001 को किया गया था. इसके बाद इस मिसाइल में कई बदलाव किए जा चुके हैं. भारतीय नौसेना ने 2005 में आईएनएस राजपूत पर पहली बार ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली तैनात की. साल 2007 में भारतीय सेना में भी यह शामिल की गई.
इसके बाद भारतीय वायुसेना ने सुखोई-30एमकेआई विमान से हवा से लॉन्च किया जाने वाला संस्करण भी बनाया है .अभी ब्रह्मोस मिसाइल का वज़न 2900 किलोग्राम है. इसके कारण लड़ाकू विमानों पर एक बार में एक ही मिसाइल लग पा रही है. इसका वज़न कम होने के बाद एक की जगह पांच मिसाइलें लगाई जा सकेंगी. अब ब्रह्मोस का नया वैरियंट ब्रह्मोस एनजी तैयार किया जा रहा है. इसका वज़न 1260 किलोग्राम और रेंज 300 किलोमीटर की होगी. इस तरह की क्षमता अगर किसी मिसाइल की है तो उसका प्रहार कितना घातक होगा, इसका अंदाज़ा सहज ही लगाया जा सकता है. स्क्रैमजेट इंजन से और घातक हो जाएगी ब्रह्मोस मिसाइल
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन की हैदराबाद स्थित रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला ने 21 जनवरी 2025 को स्क्रैमजेट इंजन का सफल परीक्षण किया है. यह इंजन मिसाइलों में लगाया जाता है. ब्रह्मोस की गति पहले से ही बहुत तेज़ है, अब इसमें अगर स्क्रैमजेट इंजन भी लग जाएगा तो यह बहुत ही घातक और मारक हो जाएगी. यह आवाज़ की गति से आठ गुना ज़्यादा तेजी से उड़ेगी. इसका पहला प्रभाव यह होगा कि इसके बाद मिसाइल रडार की पकड़ में नहीं आएगी और जब तक दुश्मन कोई रिएक्शन देने के लिए सोचेगा तब तक काफ़ी देर हो चुकी होगी .दूसरी सबसे बड़ी बात यह कि मिसाइल के हमले से पड़ने वाला असर कई गुना बढ़ जाएगा.
ब्रह्मोस को विभिन्न परीक्षणों के बाद भारत ने बहुत घातक, सटीक और लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइल बना दिया है. सुखोई में लगने के बाद इस मिसाइल की मारक क्षमता और भी बढ़ गई है. अभी इसे और भी मारक बनाने की तकनीक उन्नत की जा रही है.