स्वच्छता के जरिये  स्वस्थ भारत की संकल्पना

 

पियूष गोयल

हमारे वेदों और पुराणों में जल, पृथ्वी, वायु, आकाश इत्यादि को देवों के रूप में वंदनीय माना गया है। इसी कारण हमने प्रकृति को भी मां का स्थान दिया है। हमें पर्यावरण के प्रति सजग रहने की शिक्षा दी गई है और समय-समय पर हमारे देश के महान विचारकों एवं बुद्धिजीवियों ने इस विषय पर चिंता व्यक्त कर पर्यावरण को क्षति न पहुंचाने पर बल दिया। महात्मा गांधी ने देश और समाज के उत्थान के लिए स्वच्छता का विशेष महत्व बताया। उन्होंने लोगों को साफ-सफाई की महत्ता बताने के साथ ही स्वच्छता के लिए प्रेरित भी किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए गांधीजी को उनकी 150वीं जन्म शताब्दी पर एक स्वच्छ भारत की सर्वश्रेष्ठ श्रद्धांजलि देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत करते हुए उसे एक जन आंदोलन का रूप देने का श्रेय प्रधानमंत्री को जाता है। वह जन भागीदारी का आह्वान करते हुए 2019 तक स्वच्छ भारत के लिए कृत-संकल्पित है| इस आंदोलन की सफलता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि सैनिटेशन कवरेज जो पहले 38.7 प्रतिशत था वह विगत चार वर्षों में बढ़कर 93 प्रतिशत हो गया है और जैसा कि महात्मा गांधी ने कहा था, एक स्वच्छ शरीर किसी अस्वच्छ शहर में नहीं रह सकता तो आंकड़ों के मुताबिक स्वच्छ भारत अभियान शुरू होने के बाद पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में 10 प्रतिशत की गिरावट आई है। इस कारण लगभग दो लाख नौनिहालों की जान केवल दो वर्षों में बचाई जा सकी है।हमें आशा है कि हम जल्द ही महात्मा गांधी के स्वच्छ एवं स्वस्थ भारत के स्वप्न को साकार कर लेंगे। देश को खुले में शौच से मुक्त और साथ ही साफ-स्वच्छ बनाने में रेल मंत्रालय की एक महत्वपूर्ण भूमिका है। भारतीय रेलवे विश्व में चौथा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क है। मैं आश्वस्त कर सकता हूं कि भारतीय रेलवे ने स्वच्छता को सदैव अपना कर्तव्य माना है। रेलवे के यात्री सेवाओं संबंधी नागरिक चार्टर ने यात्रियों के लिए अपनी प्रतिबद्धता के रूप में स्वच्छता की शुरुआत की है।

हाल में एक विशेष सफाई अभियान चलाते हुए रेलवे ने महात्मा गांधी से जुड़े हुए 43 स्टेशन चिन्हित किए हैं जिनका बापू की 150वीं जन्मतिथि को ध्यान में रखते हुए सौंदर्यीकरण होगा। इसके अलावा लगभग सौ किलोमीटर की रेल पटरियों के स्ट्रेच पर वृक्षारोपण कराया जा रहा है। इतना ही नहीं गत तीन वर्षों से स्टेशनों की स्वच्छता र्रैंंकग निश्चित अवधि पर की जा रही है, जिसके परिणामस्वरूप गत वर्ष में स्वच्छता एवरेज स्कोर में 18 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। साथ ही ट्रेनों और रेलवे स्टेशनों की स्वच्छता की रैंकिंग भी की जा रही है जिससे इस स्वच्छता अभियान को बढ़ावा मिल रहा है।

कूडे़ से ऊर्जा पैदा करने वाला संयंत्र जयपुर में पहले से ही काम कर रहा है। ऐसा ही एक संयंत्र शीघ्र ही दिल्ली में शुरू होने वाला है। कूड़े से ऊर्जा बनाने वाले संयंत्र की स्थापना करने के लिए आठ और स्टेशनों को चिह्नित किया गया है। ट्रेनों के कोच में बायो-टॉयलेट स्थापित किए जा रहे हैं। मुझे यह उल्लेख करते हुए गर्व हो रहा है कि अब तक 41,000 कोच में 1.5 लाख से अधिक बायो-टॉयलेट स्थापित किए जा चुके हैं। इस समय भारतीय रेलवे में 27 ऐसे हरित कॉरीडोर हैं जहां ट्रेनों से कोई भी उत्सर्जन नहीं है।

भारतीय रेलवे के सभी स्वीकृत निर्माण कार्यों में, कंप्यूटरीकरण को छोड़कर, पर्यावरण संबंधित निर्माण कार्यों के लिए एक प्रतिशत का प्रावधान किया गया है। रेलवे में हम शौचालयों का प्रचालन बड़े स्तर पर कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त भारतीय रेलवे का प्रवर्तन (रेलवे परिसरों में स्वच्छता को प्रभावित करने वाले कार्यकलापों के लिए जुर्माना) नियम, 2012 को सुदृढ़ बनाया गया है। यात्रा के प्रारंभ और अंत में कोचिंग डिपो में कोच की मशीनीकृत सफाई की जा रही है। ओबीएचएस वाली महत्वपूर्ण लंबी दूरी की ट्रेनों के लगभग 980 जोड़ों में मांग पर स्वच्छता से संबंधित आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए ‘क्लीन माई कोच’ (मेरे कोच की सफाई) सेवा प्रदान की गई है। इसके अतिरिक्त, रद्दी उठाने/कचरे के निपटान का ठेका 650 से अधिक स्टेशनों पर उपलब्ध है।

300 से अधिक स्टेशनों पर स्वच्छ वातावरण और निगरानी हेतु सीसीटीवी का उपयोग हो रहा है। हम प्रतिबद्ध हैं कि रेलवे परिसरों और ट्रैक को स्वच्छ और साफ रखा जाएगा। मैं यह साझा करते हुए गर्व महसूस करता हूं कि पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी मेरा मंत्रालय प्रत्येक स्थान से सभी कर्मचारियों को एकजुट करते हुए बड़े पैमाने पर 15 सितंबर से 2 अक्टूबर, 2018 तक ‘स्वच्छता ही सेवा’ कार्यक्रम में भाग ले रहा है। हम सभी कदम बढ़ा रहे हैं जिससे स्वच्छता को हम अपने दैनिक जीवन का एक हिस्सा बना सकें और इसे अपने आचार-व्यवहार में अपना सकें।

व्यक्तिगत तौर पर मैंने यह ध्यान रखना शुरू कर दिया है कि अपनी हर यात्रा के दौरान सफाई का निरीक्षण खुद कर सकूं और बाकी अफसरों और कर्मचारियों को भी इस दिशा में प्रेरित करूं। अभी हाल में मैंने सफाई अभियान में अपना योगदान देते हुए श्रमदान किया। मैं कोशिश करता रहता हूं कि अधिक से अधिक लोगों तक अपनी यह अपील पहुंचा सकूं कि देशहित में सभी को स्वच्छता के लिए श्रमदान करना चाहिए।

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